देश भर में सबसे निराशाजनक प्रदर्शन

कोलकाता। ग्रामीण सड़कों की रफ्तार में बंगाल पिछड़ गया है। राज्यों की लापरवाही व हीलाहवाली के चलते प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की रफ्तार थम गई है। पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों की धीमी गति से पूरी योजना अपने निर्धारित लक्ष्य से बहुत पीछे चल रही है। चालू वर्ष के लिए आवंटित 27 हजार करोड़ रुपये में से केवल 12 हजार करोड़ खर्च हो सका है। केंद्र ने लक्ष्य से पीछे चलने वाले राज्यों को कड़ी फटकार लगाई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) को वर्ष 2008 में पूरा कर लिये जाने का लक्ष्य था। लेकिन राज्यों की लापरवाही और ढुलमुल नीतियों के चलते योजना को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में 2019 तक का इंतजार करना होगा। पीएमजीएसवाई की सड़कों के लिए केंद्र सरकार 60 फीसद वित्तीय मदद देती है, जबकि बाकी 40 फीसद राज्यों को लगाना पड़ता है। राज्यों के साथ पीएमजीएसवाई की समीक्षा में केंद्र ने हीलाहवाली करने वाले राज्यों को आड़े हाथों लिया। प्रधानमंत्री की मंशा का हवाला देते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सड़कों के निर्माण में परियोजना के पूरा होने का लक्ष्य व बजट निर्धारित करने की बात कही। पर्यावरण की मंजूरी, नक्सल प्रभावित होने और दुर्गम क्षेत्रों में पिछले चार सालों से लंबित पड़ी ढाई सौ सड़कों तत्काल पूरा करने को का कहा गया। ग्रामीण सड़कें बनाने में मध्य प्रदेश सभी राज्यों से आगे है, जबकि पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र निचले पायदान पर हैं। उत्तर प्रदेश में सड़कों को बनाने की प्रक्रिया पूरी कर परियोजना को मंजूर करने में सबसे अधिक 120 से 150 दिन का समय लग जाता है। लिहाजा सड़कों के निर्माण की गति धीमी हो जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर फिलहाल रोजाना 130 किमी सड़कें बनाई जा रही है, जिसे बढ़ाकर 140 किमी प्रतिदिन करने का लक्ष्य है। गोवा, गुजरात और हरियाणा ने अपने पहले चरण की ग्रामीण सड़कें बना ली हैं।

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