ठंड में भी बहाते हैं 25 से 28 हजार श्रम नायक पसीना

जगदीश यादव
सागरद्वीप। गंगासागर मेला भले ही देश दुनिया के हिन्दुओं के लिए एक ऐसा स्थल है जहां गंगा व सागर के संगम में डुबकी लगाने पर मोक्ष प्राप्त होता है। लेकिन देखा जाए तो गंगासागर मेले से देश के विभिन्न भागों के निवासी हजारों श्रमिकों को रोजी रोटी भी मिलती है और यह मेला उनके आय का एक उल्लेखनीय साधन भी है। 17 जनवरी को उक्त मेला का समापन होगा और आज दक्षिण 24 परगना जिला प्रशासन ने आज ही यहां बने हुगला के अस्थायी शिविर व घरों के लिये बोली भी आमंत्रित की। लेकिन यहां मेला को सजाने से लेकिन हुगला के अस्थायी शिविर व घरों के निर्माण में स्थानीय श्रमिकों के साथ ही हजारों संख्या में देश के विभिन्न भागों से आये श्रमिकों की उल्लेखनीय भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। केरल निवासी शेख मुरसलीम यहां आकर काम करते हैं और मेले को सजाने में अपने श्रम शक्ति का उपयोग करते हैं। जिससे उन्हें भारी कमाई होती है। ऐसे देश के अन्य राज्यों के कई श्रमिक मिले जिन्होंने उक्त बात की जानकारी तो दी लेकिन नाम की गोपनीयता के लिये भी कहा। ऐसे तमाम श्रमिक जो लगातार 12 वर्षों से यहां मेले की दुनिया को गढ़ते हैं का मानना है कि अगर मीडिया में नाम गया तो ठेकेदार का कोप झेलना पड़ सकता है।  गंगासागर मेले के दौरान यहां मेला संसार को गढ़ने वालों में सिंह भाग मुस्लिम युवकों की है। यह मेला हमारे लिए आय का एक बड़ा अवसर है। एक श्रमिक ने कहा आप लोग मेरे जैसे कई सौ लोगों को पा सकते हैं, जो गंगासागर मेले के लिए आते हैं ताकि उनका परिवार चल सके।  इनकी माने तो एक-एक श्रमिक यहां एक माह में 25 से 40 हजार रुपये  कमा लेते हैं। बहरहाल उक्त लोगों की माने तो गंगा सागर मेले को संवारने व सजाने के लिये लगभग 25 से 28 हजार स्थायी व अस्थायी कर्मचारी व श्रमिकों के श्रम शक्ति का उपयोग होता है।

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