जाकिर अली
कोलकाता/हुगली/हावड़ा। महानगर कोलकाता में चार दिनों तक दुर्गा पूजा के महोत्सव पर उत्सव के मिजाज में चार चांद लगाने के बाद विजयदशमी के बाद आज से ढाकियों का जत्था अपने घरों की ओर रवाना होते दिखें। सियालदा स्टेशन हो या फिर हावड़ा। महानगर के तमाम जगहों पर इन ढाकियों को अपने ढाक सहित अन्य वादन यंत्र को समेटकर जाते देखा गया। देखा जाये तो दुर्गापूजा में बिना ढाक के उत्साह व रौनक नहीं आती है। बात करने पर ढाकियों ने बताया कि कोरोनाकाल के दो सालों बाद इस बार ढाक की धुन से महानगर कोलकाता के दुर्गा पूजा मंडप गुलजार हुए हैं। इस बार उन्हें काम मिला है और वह लोग खुश है। कोरोनाकाल में इन लोगों को भुखमरी और अभावों से जूझना पड़ा था। बर्दवान, मुर्शिदाबाद, बांकुड़ा, मालदा, पुरुलिया आदि सुदूर बंगाल के क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में उक्त लोग कोलकाता व राज्य के हावड़ा व हुगली में आये थे। इन ढाकियों ने कहा, वैसे तो उत्सव नगरी कोलकाता से घर जाने का मन नहीं कर रहा है। लेकिन उनके परिजन उनलोगों का इंतजार कर रहें हैं। यही कारण है कि बुझे मन से ही सही लेकिन जाना पड़ रहा है।

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