इस वर्ष मोदी विरोधी चेहरे के तौर पर उभरी ममता बनर्जी

कोलकाता।

 adv.

adv.

देखते ही देखते आज के दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस 20 साल की हो गई। इस दौरान ममता बनर्जी ने केंद्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक की राजनीति की। लेकिन बीते साल में वह मोदी विरोधी मोर्चे की सबसे मुखर चेहरे के तौर पर सामने आईं। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जिन्हें उनके समर्थक ‘दीदी’ कहते हैं,बीजेपी विरोधी अपनी लय को बरकरार रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर साल भर हमलावर रहीं। उन्होंने अपने भाषणों और सोशल मीडिया पर लेखों – व्यंग्य के जरिए मोदी सरकार पर कड़े हमले किए और उनकी सरकार का केंद्र से कई मुद्दों पर संघर्ष जारी रहा।उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को इस साल पहली जनवरी को 20 साल हो गए। इस मौके पर उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को बधाई दी है।दी की तुलना संस्कृत के महान कवि व नाटककार कालिदास से की थी। हालांकि उन्होंने तुलना उस कालिदास से की थी, जिसे कभी महान मूर्ख समझा जाता था। कहानी का संदर्भ यह था कि राजकुमारी विद्योत्तमा के लिए जब महामूर्ख की तलाश की जा रही थी तो देखा गया कि एक युवक बुद्धिमत्ता की कमी की वजह से जिस डाल पर बैठा था, उसी को काट रहा था। वह युवक कालिदास था, जो विद्योत्तमा के साथ विवाह के बाद बुद्धिमान बना।ममता बनर्जी ने अपनी टिप्पणी में कहा, “देश की सभी संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं। यह एक खतरनाक खेल है। प्रधानमंत्री कालिदास की तरह व्यवहार कर रहे हैं, वह जिस शाखा पर बैठे हैं उसी को काटने की कोशिश कर रहे हैं।” ममता ने अपने एक अन्य आक्रामक भाषण में मोदी व रामायण महाकाव्य के दैत्य राजा रावण की तुलना की।मोदी के 56 इंच के सीने की टिप्पणी का जिक्र करते हुए ममता ने कहा, “वह दावा करते हैं कि उनका सीना व कंधा चौड़ा है। रावण के कंधे भी चौड़े थे और उसके दस सिर थे।” बंकुरा जिले में एक सार्वजनिक सभा में ममता बनर्जी ने मोदी पर फिर से हमला किया और मोदी सरकार को ‘गूंगा व बहरा’ बताया। उन्होंने कहा, “वह पहले खुद को चायवाला कहते थे। अब वह करोड़पति पेटीएम वाला बन चुके हैं।”ममता बनर्जी ने नोटबंदी को ‘शर्मनाक’ बताया और ट्विटर पर मोदी के इस फैसले को ‘एक तानाशाह की दृष्टिहीन, उद्देश्यहीन व दिशाहीन फैसला’ बताकर खारिज किया था। ममता बनर्जी ने लोकतांत्रिक प्रदर्शन के हर तरीके को अपनाया। उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का दरवाजा भी खटखटाया था और उनसे देश की अव्यवस्था को बचाने का आग्रह किया था।

ममता ने मोदी से इतर बीजेपी भाजपा के दूसरे नेताओं- लालकृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह व अरुण जेटली के नेतृत्व को स्वीकार करने की बात कही। जीएसटी को समर्थन देते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि मोदी सरकार ने इस नई प्रणाली को ‘विनाशकारी रूप से जल्दबाजी’ में एक जुलाई से लागू कर दिया। उन्होंने केंद्र के इस कदम को ‘एक अन्य बड़ी भूल’ बताया।हालांकि, ममता बनर्जी ने ‘संयुक्त नेतृत्व’ के जरिए मोदी को चुनौती देने पर जोर दिया। लेकिन एक मीडिया कॉन्क्लेव में बीते महीने उन्होंने संकेत दिया कि वह 2019 में सभी विपक्षी दलों को बीजेपी के खिलाफ एक मंच पर लाने में कोई भूमिका निभाने नहीं जा रही हैं, कोई ऐसा साझा मंच बनेगा तो उसका समर्थन जरूर करेंगी।
Spread the love
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •