कोलकाता। राजनीति में कब क्या हो जाये सौ फिसदी दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पीएम मोदी की घोर विरोध कर रहीं ममता बनर्जी भले ही राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस का साथ दे रही हैं। लेकिन उनकी पार्टी के कुछ विधायक बागी तेवर अपना लिये है। तृणमूल के कुछ विधायकों का वोट मीरा कुमरा के खाते से जाते दिख रहा है। त्रिपुरा में पार्टी के विधायकों ने राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने का फैसला किया है। तृणमूल के सभी छह विधायकों ने 1 जुलाई यहां बैठक की और राष्ट्रपति चुनाव में कोविंद को समर्थन देने का फैसला किया।ऐसे में पश्चिम बंगाल में दीदी के खेमें में हड़कंप ही नहीं चिंता की लहर भी दौड़ गई है। apराज्य विधानसभा में तृणमूल के नेता सुदीप राय बर्मन ने हाल ही में इस पर कहा है कि हम ऐसे उम्मीदवार को समर्थन नहीं देंगे जिनका समर्थन माकपा कर रही हो। उन्होंने कहा हम 2018 के विधानसभा चुनाव में माकपा को त्रिपुरा की सत्ता से हटाने के लिए कठिन मेहनत कर रहे हैं। इसलिए हम मीरा कुमार के लिए मतदान नहीं कर सकते। यानी माकपा को सामने ऱखकर तृणमूल के विधायकों ने राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन करने का मन बना लिया है। तृणमूल के नेता सुदीप राय बर्मन ने कहा कि तृणमूल विधायकों ने अपने फैसले से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव को सूचित कर दिया है। राम माधव ने कल रात उनसे कोविंद को समर्थन देने की अपील की थी। ऐसे में अब देखना होगा कि ममता क्या अपने रूठे हुए विधायकों को मनाती है या फिर बीजेपी के खेमे में वोट जाने देती हैं।
बता दें इस साल 24 जुलाई को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। वहीं नए राष्ट्रपति चुनाव के लिए 20 जुलाई तक निर्वाचन प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। चुनाव के लिए नामांकन दायर करने और वापिस लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। वहीं अब 17 जुलाई को मतदान होगा और 20 जुलाई को मतगणना की जाएगी।बता दे कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेपी के पास बहुमत ज्यादा है लेकिन कांग्रेस चुनावी मैदान को खाली नहीं छोड़ना चाहती थी। ऐसे में कांग्रेस समेत 17 विपक्षी दलों ने पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को अपना राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया था। एक तरफ जहां तृणमूल कांग्रेस के 6 विधायकों ने कोविंद का समर्थन करने को कहा है, वहीं दूसरी तरफ महागठबंध की अहम पार्टी जदयू भी उन्हें समर्थन देने के अपने फैसले पर अटल है। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर कांग्रेस और जदयू की दूरियां बढ़ती हुई नजर आ रही है वहीं अब ममता बनर्जी के सामने भी नई मुश्किल खड़ी हो गई है।

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