मोक्षभूमि गंगासागर में यात्रियों का रेला नगण्य
पुण्यार्थियों की कमी से निराश स्थानीय दुकानदार

विशेष संवाददाता
सगरद्वीप/कोलकाता। गंगासागर में मकर संक्रांती के पुण्य स्नान के लिये अभी मात्र तीन दिन ही बचे है लेकिन गंगासागर में जन आस्था का जन सैलाब इस वर्ष नहीं नजर आया। स्थानीय दुकानदारों व लोगों का दावा है कि आमतौर पर इस समय पर देश भर से तीर्थयात्रियों का रेला हजारों की संख्या में उमड़ने लगता था। स्थानीय दुकानदारों व लोगों ने बताया कि श्री हरि के अन्यतम अवतारों में एक कपिल मुनि धाम क्षेत्र में कोरोनाकाल का असर साफ देखा जा रहा है। जी हां, गंगा व सागर के संगम की इस पावन धरा पर  ‘कोरोनासुर’ का साया उदासी को जन्म दे रहा है। एकदम कम संख्या में इस समय कचुबेरिया से तीर्थयात्रियों को देखा जा रहा है। स्थानीय कई दुकानदारों व निवासियों के दावे के अनुसार इस बार इस समय तीर्थयात्रियों की संख्या एकदम नगण्य है। जबकि आमतौर पर इस समय बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेस, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तामिलनाडु, पंजाब जैसे प्रदेशों से पुण्यार्थियों का रेला उमड़ता था। ऐसे तीर्थयात्री लाखों की भीड़ से बचने के कारण मकर संक्रांति से पहले ही यहां संगम में पुण्य स्नान करने आते रहें हैं। स्थानीय दुकानदारों ने नाम की गोपनियता पर बताया कि, सागर क्षेत्र में भी संक्रमण बढ़ गये हैं। लेकिन अधिकारिक सूत्र इस मामले पर कुछ भी कहने से इंकार कर रहें हैं। दुकानदारों को जैसे ग्रहकों का अकाल पड़ गया है। स्थानीय दुकानदारों व मेला क्षेत्र में सेवा कार्य के लिये आये स्वंय सेवी संस्थाओं के लोगों व स्वास्थ्य सेवा से जुड़े स्वंय सेवकों की माने तो रुद्रनगर अस्पताल में भी कोरोना के कई मामले आये हैं और यहां कोरोना की घुसपैठ हो चुकी है। इन्होंने दावा किया कि देश सहित राज्य में कोरोना के बढ़ते ग्राफ के कारण पुण्यार्थी कम आये हैं और आएगें। हलांकि कपिलमुनि मंदिर रंगीन प्रकाश सज्जा में जगमग कर रहा है तो मेला परिसर में बचे काम को निपटाया जा चुका है। मुंह पर मास्क लगाये तमाम नगा साधु समाज के लोगों का एक अलग संसार भी यहां बस गया है। लेकिन वह भी कम संख्या में आये हैं। गंगासागर मेले में रंग-बिरंगे खिलौने और तरह-तरह के सामान से अटी दुकानों भी इस बार अन्य बार की तुलना में कम लगी है। सेना के जवान गंगासागर मेला की सुरक्षा व्यवस्था के लिये तैनात हैं।स्थानीय दुकानदार से लेकर पुरोहित तक यहां कम तीर्थयात्रियों का रोना रो रहे हैं। इनके अनुसार ऐसा माहौल कभी नहीं देखा। इस बार गंगासागर में तीर्थयात्रियों की संख्या काफी कम होगी।

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