तार से उलझे बंदर व उसकी मां को दीदी ने बचाया

नई दिल्ली/कोलकाता। भले ही भाजपा के लाल बाजार अभियान के दौरान पुलिस द्वारा आम लोगों सह मीडिया कर्मियों पर डंडे भांजे जाने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का दिल भले ही नहीं पसीजा हो लेकिन ने दीदी ने अपने बॉडीगार्ड के साथ मिल कर एक बंदर के बच्चे और उसकी मां को बचाया। घटना उस समय की है जब राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में ममता बनर्जी दिल्ली में अपने भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी के घर ठहरी थी । तभी हाउस लॉन में टहलते हुए दीदी  ने एक बंदर के बच्चे की चीख की आवाज सुनी। बंदर का बच्चा घर की बाउंडरी की पर एक केबल में फेंसा हुआ था।

करीबी सूत्रों व खबरों के अनुसार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरिवंद केजरीवाल से मिटिंग के बाद ममता घर के हाउस लॉन में घूम रहीं थी। इस दौरान ममता ने केबल में फंसे बंदर के बच्चे की आवाज सुनी। खबरों के अनुसार बंदर के बच्चे के पास उसकी बंदर की मां भी मौजूद थी, जो अपने बच्चे को केबल से निकाले का प्रयास कर रही थी।बंदर को बचाने के लिए ममता ने बॉडीगार्ड और पुलिस को बुलाया। एक घंटे के प्रयास के बाद बंदर और उसकी मां को बचाया गया। बताया जा रहा है कि बंदर को बचाने के लिए बॉडीगार्ड टॉर्च का प्रयोग कर रहे थे, जिसको ममता बनर्जी के प्रयोग करने से मना कर दिया। कुछ पुलिस और बॉडीगार्ड ने घर की दिवार पर चढ़कर बंदर को बचया।

शायद इस राज्य के तमाम लोगों ने  वर्ष 2012 की हुगली जिले के चंदननगर की उक्त वाकये को नहीं भुला होगा जब दीदी  एक बंदर को अपने सभा मंच पाकर गदगद हो गई थी। दीदी ने उक्त बंदर को देखकर देवी सप्तसती के बीज मंत्रों से लेकर तमाम मंत्रों का पाठ भी मंच से धारा प्रवाह करना शुरु कर दिया था। उन्होंने सभा में मौजूद लोगों को कहा था कि उक्त बंदर को नहीं छेड़े।

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