रिमझिम फुहारों के बाद उमस की तेज तल्खी
मौसम के मार से लोग होते रहे अस्वस्थ्य
पेयजल, नींबू पानी, सत्तू के घोल बेचने वालों ने काटी चांदी

जगदीश यादव
कोलकाता। बरसात के दिनों में महानगर कोलकाता के मौसम का मिजाज आज तल्खियों वाला रहा। कई दिनों से लगातार बारिश के फुहारों में सराबोर हुए महानगर कोलकाता का जन जीवन ने आज मौसम का मिजाज कुछ अलग ही पाया ही नहीं बरन यूं कहें की झेला। आज सुबह से ही धूप निकलने के बाद से लोगों को उमस ने परेशान तो किया लेकिन अधिकतम तापमान 36 डिग्री से ज्यादा नहीं होने के बाद भी लोग इस दिन तेज धूप के शिकार होते रहें। महानगर कोलकाता शहर का आलाम तो यह रहा कि इस दिन शहर के कई जगहों पर लोग धूप के तेज मिजाज को सहन नहीं कर सके और जिसके कारण राहगीर अस्वस्थ्य भी होते रहें। इस दिन शहर का आंखों देखा हाल तो यह रहा कि वर्षारानी के समय में धूप के अतिक्रमण के कारण कई जगहों पर सुबह दस बजे के बाद सड़क पर सन्नाटा छा गया था। खिदिरपुर, अरफनगंज मार्केट सहित कई बाजारों में आज तेज धूप के कारण भीड़ अन्य दिन की उपेक्षा काफी कम रही।  सुबह से ही आसमान में तेज धूप खिल गई। दिन चढ़ने के साथ धूप की तपिश बढ़ती चली गई। ऐसे में सड़क पर चलने वाले लोगों के दो कदम चलते ही हलक सूखने लगे। बाजार में पूरे दिन सन्नाटा रहा। सन्नाटे का असर एक्साइड मोड़ जैसे जगहों पर भी साफ दिखा। धूप के प्रकोप से बचने के लिए अधिकांश लोग दोपहर में जरूरी कार्य न होने पर घर से बाहर नहीं निकले। एक धूप से भुक्तभोगी एक मीडियाकर्मी फिरोज आलम भी अस्वस्थ्य हो गया। उन्होंने कहा कि बारिश के दिनों में इस तरह का तेज गर्मी वाला धूप है तो पता नहीं आने वाले गर्मी के मौसम में क्या होगा यह तो अल्लाह ही जाने।मामले पर बात करने पर डॉ. रमेश रजक ने बताया कि अगर इस तरह का तेज धूप हो तो शरीर को पूरी तरह ढक कर निकलें। साथ में पानी अवश्य रखें। घर से जब भी निकलें खाना खा लें। तेज धूप सन स्ट्रोक का करण भी बन सकता है। डॉ. रमेश रजक ने बताया कि गर्मी के मौसम में धूप बहुत तेज हो जाती है, इसके साथ गर्म हवाएं चलती हैं, इसके कारण लू लगने की संभावना बढ़ जाती है। दरअसल वातावरण में होने वाले गर्म बदलाव के कारण शरीर में गर्मी प्रवेश कर जाती है, जिसे लू या सन स्ट्रोक कहा जाता है।बहरहाल तेज धूप के कारण कई दिनों से बारिश के फुहारों के कारण ठण्डा पड़े पेयजल व शरबात बेचने वाले हाकरों की आज चांदी भी रही। उन्होंने नींबू, पानी, सत्तू के घोल से जम कार चांदी कांटी कारण प्यास बुझाने के लिए उनके शरण में जाने को मजबूर भी हुए।

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