जयंती यादव

कोलकाता। सबसे पहले महंगाई व अब नोटबंदी ने देश भर में आर्थिक व्यवस्था पर गहरा असर डाला है। ऐसे में महंगाई व नोटबंदी की मार से ज्ञान की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा का कद घट गया है मिट्टी के प्रतिमा बनाने व इसे बेचने वाले उक्त हालात से परेशान हैं। प्रतिमा निर्माण से से जूड़़े गणेश बांसफोर, व गोपाल पाल ने बताया कि महंगाई पर किसी का जोर नहीं है लेकिन नोटबंदी के कारण इस साल ज्यादत्तर पूजा कमेटियों, स्कूल, क़ॉलेज ही नहीं घरों में स्थापित होने वाली सरस्वती प्रतिमाओं का कद घट गया है। जिसका सबसे बड़ा कारण है रुपये की समस्या। कालीघट में प्रतिमा निर्माण से जूड़़े कलाकारों का भी का दर्द एक ही जैसा है।  इनकी माने तो वह लोग कम से कम 50 बड़ी प्रतिमाओं का आर्डर हर वर्ष ले लेते थें। इस बार मुश्किल 30 से 40 प्रतिमाओं का आर्डर मिलाा। वैसे खासकर तीन से चार फीट के प्रतिमाों की पूजा पंडालों में ज्यादा मांग होती है। इसकी कीमत 1000-2500 के बीच होती है। मूर्ति की रंगाई से लेकर अन्य सामग्री में कीमत में बढ़ोतरी भी हुई है। वहीं नोटबंदी के कारण लोगों से चंदे का कम मिलाना पूजा कमेटियों के लिये समस्या रही जिसके कारण मंडप से लेकर प्रतिमा के वजट में भी कटौती मजबूरी बन गई है। बीते साल की तुलना में मूर्ति की कीमत में दो-चार सौ रुपये के बीच अंतर हुआ है।मूर्ति निर्माण के लिए मिट्टी, बिचाली, बांस आदि की कीमत बढ़ गई है। मूर्तिकारों ने बताया कि पहले प्रति टेलर देढ़ हजार रुपये में मिट्टी मिल जाती थी। इस बार इसमें सीधे 1000 रुपये की अधिक मांग की जाती है। वहीं बांस पहले जहां 250 रुपये में आता था, वह इस बार 300 रुपये से ज्याद लगा ।इसके बाद भी अगर महंगाई की बात छोड़ दें तो नोटबंदी ने का सरस्वती पूजा पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।

 

 

 

 

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