राज्य सरकार के खिलाफ होगा व्यापक आंदोलन

कोलकाता। राज्यभर में चिटफंड के जरिए किए गए अरबों रुपये के घोटाले में से कितने रुपये राज्य सरकार के पास जमा कराए गए हैं, इसे सार्वजनिक करने को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाई गई है। यह याचिका ऑल बंगाल चिटफंड वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन की ओर से लगाई गई है। यह जानकारी संगठन के राज्य अध्यक्ष रूपम चौधरी ने आज कोलकाता प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने बताया कि राज्य भर में करीब चार लाख करोड़ रुपये की धनराशि चीट फंड के जरिए वसूलकर गबन की गई है। इसमें से कितनी धनराशि राज्य सरकार के पास जमा कराई गई हैं, इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक करने और रुपये गबन करने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई को लेकर कई बार आंदोलन किया गया है लेकिन राज्य प्रशासन इस ओर ध्यान देना नहीं चाहता इसलिए अब व्यापक आंदोलन किया जाएगा। रूपम ने बताया कि विगत चार सालों से कोलकाता समेत राज्य के सभी जिलों में सड़कों पर उतरकर चिटफंड पीड़ितों ने आंदोलन किया लेकिन राज्य प्रशासन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। इसीलिए इसके खिलाफ राज्य के सांसदों और विधायकों के पास ज्ञापन सौंपा गया लेकिन फिर भी कोई पहल नहीं की गई। इसके बाद व्यापक आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई है। आगामी 13 दिसंबर को केंद्रीय कार्यालयों का, 21 दिसंबर को दोपहर 12:00 बजे से 1 घंटे के लिए राज्य भर में रेल अवरोध किया जाएगा।रूपम ने बताया कि न्यायालय ने 42 चिटफंड कंपनियों को निवेशकों का पैसा लौटाने का निर्देश दिया था। इसके लिए कमेटी भी गठित की गई थी लेकिन राज्य सरकार के चरम असहयोग की वजह से यह चिटफंड कंपनियां ना तो निवेशकों का पैसा लौटाई और ना ही कमेटी पैसा वसूलने में सफल हुई। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अल्केमिस्ट समूह ने रुपये देने की शुरुआत की थी लेकिन प्राथमिक तौर पर 733 लोगों को मूल राशि लौटाने के बाद इस प्रक्रिया को पूरी तरह से विराम लगा दिया गया है। इस धनराशि का एक बड़ा हिस्सा राज्य सरकार के पास जमा कराया गया है।इस बारे में राज्य सरकार को जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए कि कितनी राशि जमा हुई। संगठन की एक अन्य नेत्री अमिता बाग ने आरोप लगाया कि चिटफंड प्रताड़ित को राहत देने के लिए ममता बनर्जी की सरकार ने 500 करोड़ रुपये आवंटित किया था लेकिन केवल 139 करोड रुपये की धनराशि देने के बाद इस प्रक्रिया को भी बंद कर दिया गया था। मामले को न्यायालय में विचाराधीन बता कर इस प्रक्रिया को पिछले चार सालों से बंद किया गया है जिसकी वजह से चिटफंड पीड़ित परेशान हो रहे हैं। दूसरी ओर ओडिशा की सरकार ने चिटफंड पीड़ितों को धन राशि लौटाने की प्रक्रिया ना सिर्फ शुरू की बल्कि उसे पूरी भी की है।इसके बाद एक बार फिर रूपम ने बताया कि अभी तक डेढ़ हजार पंचायत प्रधान, 76 पंचायत समिति के अध्यक्ष, 43 विधायकों ऐर पांच सांसदों के पास इस से संबंधित आवेदन किया गया है कि चिटफंड पीड़ितों को धनराशि लौटाने की प्रक्रिया शुरू की जाए। रूपम ने बताया कि कानूनी प्रावधान होने के बावजूद राज्य सरकार ने रुपये गबन करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि इन चिटफंड कंपनियों के लिए काम करने वाले जिन एजेंटों अथवा पीड़ितों ने इसका मुखर तरीके से विरोध किया उनकी हत्या भी कर दी गई। कुछ लोगों ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली।राज्य सरकार के इस रवैए के खिलाफ तमाम तरह के आंदोलनों की सूची में 21 जनवरी की तारीख भी तय की गई है जिस दिन कोलकाता में राज्यभर से कमोबेश 40 हजार चिटफंड पीड़ित एकत्रित होंगे जो अपनी समस्याओं को लेकर राज्य सरकार से गुहार लगाएंगे।
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