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जगदीश यादव
आस्था डेस्क। बिना ज्ञान के दुनियां भर की चकाचौध भी फिकी है। देवी सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है। कहते हैं कि ब्ना ज्ञान के मनुष्य पशु समान हो जाता है। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते होंगे की ज्ञान की देवी सरस्वती भगवान श्रीकृष्ण को देखकर मुग्ध हो गई और वह उन्हें पति के तौर पर पाना चहती थी। एक पौराणिक कथा देवी सरस्वती ने जब श्रीकृष्ण को देखा, तो उनके रूप पर मोहित हो गईं और पति के रूप में पाने की इच्छा करने लगीं। जब भगवान कृष्ण को इस बात का पता चलने पर उन्होंने माता सरस्वती से कहा कि वह तो राधा के प्रति समर्पित हैं। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण सरस्वती देवी को नाराज भी नहीं करना चाहते थें। अतएवं माता सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए श्रीकृष्ण ने वरदान दिया कि प्रत्येक विद्या की इच्छा रखने वाला माघ मास की शुक्ल पंचमी को तुम्हारा पूजन करेगा.। यह वरदान देने के बाद स्वयं श्रीकृष्ण ने पहले देवी की पूजा की।
अब बता दें की ज्ञान की इस देवी की रचना खुद ब्रह्मा जी ने किया औऱ फिर उनसे विवाह भी। एक अर्थ में ब्रह्मा ज्ञान की देवी के पिताभी कहें जाते हैं। पौराणिक अक्यानों के अनुसार सृजनकर्ता ब्रह्माजी ने जब धरती को मूक और नीरस देखा और अपने कमंडल से जल का छडिड़काव किया। धरतीर हरियाली से भर गईऔर देवी सरस्वती का उद्भव हुआ। जिसे ब्रह्माजी ने सरस्वती को आदेश दिया कि वीणा और पुस्तक से इस सृष्टि को आलोकित करें। कहते है कि ज्ञान के बिना जीवन का लक्ष्य निर्धारण नहीं हो सकता है। लक्ष्य निर्धारण में सावधानी वही बरत सकता है जो ज्ञानी हो।

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