कोलकाता। प्रेमचंद जयंती के अवसर पर साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ द्वारा को परिचर्चा एवं प्रेमचंद पर केन्द्रित कविताओं का वाचन किया गया | सैय्यद आमिर अली लाइब्रेरी खिदिरपुर में अनुष्ठित इस साहित्यिक समारोह में परिचचर्चा की शुरुआत करते हुए संस्था के अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने प्रेमचंद को युगदृष्टा कलमकार बताते हुए कहा,कि ‘प्रेमचंद की रचनायें आज के परिपेक्ष्य में भी उतनी ही प्रासांगिक हैं,जितनी अपने रचनाकाल में प्रभावी थीं’ | प्रेमचंद के ग्राम लमही के निवासी रामशिरोमणि उपाध्याय ने कथासम्राट के उन अनछुए प्रसंगो को साझा किया जो उन्होने गाँव के बुजुर्गो से सुने हैं | शिक्षक रामनाथ यादव ने कलम के सिपाही की रचनाधर्मिता पर विस्तार से प्रकाश डाला | जगेश तिवारी ने प्रेमचंद की कहानियों के कुछ प्रमुख पात्रों के संवाद की रोचक प्रस्तुति की | रक्षा विभाग मे कार्यरत साहित्यकार श्रीकांत उपाध्याय ने कहा कि ‘प्रेमचंद का जीवन संघर्षपूर्ण रहा | आर्थिक परिस्थितियों से जूझते हुए भी उन्होने पराधीनता,शोषण और अन्य सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन हेतु अपनी लेखनी चलायी | परिचर्चा पश्चात संचालक प्रदीप कुमार धानुक ने दूसरे सत्र में अमर कहानीकार प्रेमचंद पर काव्य-पाठ हेतु कवियों का क्रमश: आह्वाहन किया जिसमें रामप्रकाश सिंह ‘सावन’, पार्थ सारथी ‘मौसम’,भूपेन्द्र सिंह ‘बसर’,परवेज आलम,शब्बीर अहमद,चन्द्रकिशोर चौधरी,डा.अजय वर्मा,सरवर दिलकश इत्यादि ने अपनी रचनायें सुना कर श्रोता समूह को आनन्दित किया | कार्यक्रम की अध्यक्षता ‘चितवन’ काव्य पुस्तक के रचयिता शंकर रावत ने की तथा धन्यवाद ज्ञापन साहित्य मंत्री नवीन कुमार सिंह ने दिया।

Spread the love
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •