झारखंड सीमा पर 40 किलोमीटर लंबी व 10 फुट गहरी खाई

कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार के लिये परेशानी का सबब बने हाथियों को रोक पाना चुनौती बन गया है। ऐसे में राज्य सरकार   ने अपने क्षेत्र के किसानों की फसल की बर्बादी एवं जान-माल के खतरे को देखते हुए झारखंड के हाथियों के लिए रोक लगा दी है। इसके लिए सीमा पर 35 से 40 किलोमीटर लंबी एवं 10 फुट गहरी खाई खोदी गई है। इसके अलावा 200 फोरेस्ट गार्ड को आधुनिक सामान के साथ सीमा पर लगाया गया है। इस वजह से हाथी झारखंड में ही डेरा जमाए हुए हैं। वे सीमा पर जाकर बार-बार लौट रहे हैं। पश्चिम सिंहभूम जिले के बासाडेरा एवं बुरुडीह में तबाही एवं भय का माहौल पैदा करने के बाद हाथियों के झुंड ने एक बार फिर बंगाल सीमा पार करने की कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली। दो दिनों से 45 से 50 हाथियों के झुंड ने काड़ाडूबा पंचायत के कानीमोहली एवं आसना पंचायत के काटशोल एवं कोदाकोचा गांव में भारी तबाही मचा रखा है। इन तीनों गांवों में दो दिनों में हाथियों के झुंड ने लगभग 50 से 60 एकड़ में लगी धान की फसल को नष्ट कर दिया है। इसके बाद तीनों गांवों के लोग दिन-रात एक कर हाथियों को भगाने में लगे हैं। हाथियों का झुंड अभी असना पंचायत के दुम्हा पहाड़ पर है। ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का झुंड हर साल यहां आता है, लेकिन इस बार सीमा पर अमलाशोल, पुरुलिया, मेदनीपुर से लेकर लगभग 40 किलोमीटर तक गड्ढा खोद दिया गया है। इन गड्ढों के पास 200 जवानों को तैनात किया गया है। सभी के पास बम, पटाखा, मशाल समेत हाथी भगाने वाले अत्याधुनिक सामान हैं। जब भी हाथी बंगाल को ओर कूच करते हैं, वे उन्हें झारखंड की सीमा में खदेड़ देते हैं। इस संबंध में चाकुलिया वन क्षेत्र के रेंजर गोरख राम ने कहा कि हाथी किसी राज्य के नहीं पूरे देश के हैं, वे कहीं आने-जाने के लिए स्वतंत्र है। बंगाल सरकार के गड्ढे खोदने के फैसले अपने हैं। हमारी सरकार की ओर से कोई ऐसी योजना नहीं है, बंगाल द्वारा ट्रेंच खोदने की सूचना वरीय पदाधिकारी को दे दी गई है। किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। उनकी फसल जो नुकसान हुआ है तो वे आवेदन दें, भरपाई की जाएगी। हाथियों को हम कहीं भी रोककर ज्यादा देर नहीं रख सकते। खैर देखना है कि बंगाल सरकार का यह उपाय कितना कारगर होता है।

 

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