जगदीश यादव
कोलकाता। सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े व अहम फैसले के तहत देश में वेश्यावृत्ति को वैध करार दिया है। आदेश में साफ शब्दों में कहा गया है कि पुलिस इसमें दखलंदाजी नहीं कर सकती और न ही सहमति से यह कार्य करने वाले सेक्स वर्करों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के उक्त फैसले से देश के तमाम सेक्स वर्करों के बीच खुशी की लहर है। एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट क्षेत्र के तौर पर जाने जाने वाले सोनागाछी में आज जैसे कोई महापर्व का दृश्य रहा और यौन कर्मियों के बीच गजब का उल्लास दिखा। चारों ओर यौन कर्मियों को मिठाई बांटते व खुशी मनाते देखा गया। तमाम यौन कर्मियों ने कहा, अब वह लोग सिर उठा कर व छाती ठोंकर जी सकेंगी। इसके लिये सुप्रीम कोर्ट को जितना धन्यवाद दे वह कम है।सुप्रीम कोर्ट ने हमे जो दिया है इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। यौन कर्मियों की संगठन दुर्बार महिला समन्वय समिति के 1.30 लाख सदस्य है। उक्त समिति द्वारा भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया गया है और खुशी जतायी गई है। यौन कर्मियों की संगठन दुर्बार महिला समन्वय समिति की जन सम्पर्क अधिकारी महाश्वेता ने आज उक्त फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट का आभार प्रकट करते हुए कहा कि, यह फैसला यौन कर्मियों की ऐतिहासिक जीत है जो काफी बलिदान व लड़ाई के बाद मिली। लेकिन जिन योद्धाओं यानी समिति के संस्थापक डा. समरजीत जाना व सचिव काजल बोस ने उक्त लड़ाई को अंतिम सांस तक जारी रखा आज वह इस ऐतिहासिक घड़ी में हमारे साथ नहीं है। इन दोनों का निधन हो चुका है। इधर सेक्स वर्करों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वार उक्त मामले पर छह सूत्रीय दिशानिर्देश जारी किये गया है। जैसे सेक्स वर्कर या यौनकर्मी कानून के तहत समान संरक्षण के पात्र हैं। आपराधिक कानून सभी मामलों में उम्र और सहमति के आधार पर समान रूप से लागू होना चाहिए।जब यह स्पष्ट हो जाए कि यौनकर्मी वयस्क है और सहमति से इस पेशे में भाग ले रही है तो पुलिस को हस्तक्षेप या कार्रवाई से बचना चाहिए। देश के प्रत्येक व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सम्मानजनक जीवन का अधिकार है। सेक्स वर्करों को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए और न ही दंडित किया जाना चाहिए। वेश्यालयों पर छापा मारते वक्त उनका उत्पीड़न नहीं होना चाहिए। सेक्स वर्कर के बच्चे को सिर्फ इस आधार पर मां से अलग नहीं किया जाना चाहिए कि वह देह व्यापार में है। मानवीय शालीनता और गरिमा की बुनियादी सुरक्षा सेक्स वर्करों और उनके बच्चों के लिए भी है। यदि कोई नाबालिग बच्चा वेश्यालय में सेक्स वर्कर के साथ रहता या रहती है तो यह नहीं माना जाए कि वह तस्करी कर यहां लाया गया है।

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