देवाशिष चटर्जी

swpan pal

स्वापन पाल

ramkrit yadav

रामक्रीत यादव

jagdish kurta

जगदीश यादव

कोलकाता। पश्चिम बंगाल भाजपा ओबीसी मोर्चा के द्वारा अब राज्य में संगठन को और बेहतर ही नहीं करने जा रही है वरन बंगाल में ओबीसी यानी अन्य फिछड़ी जातियों के लोगों को लामबद्ध कर अपने से जोड़ने की तैयारी की जा रही है। शायद यही कारण है कि प्रदेश भाजपा ओबीसी मोर्चा में जान फूंकने के लिये कमर कस चुकी है। उक्त मोर्चे में ऐसे लोगों को स्थान दिया गया है जो उक्त वर्ग के लोगों के लिये काम कर रहें हैं। पश्चिम बंगाल भाजपा के ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष स्वपन पाल ने बताया कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के नेतृत्व में हम आगे बढ़ रहें है । राज्य में उन लोगों के लिये भी लड़ाई लड़ेगें जो ओबीसी से ताल्लुक रखते हैं। मोर्चा के अन्यतम सचिव रामक्रीत यादव ने कहा कि हम मोर्चा के सहारे राज्य के सुदुर ग्रामीण अंचल में रह रहें उन लोगों को भी बतायेगें कि उनका हक क्या है और राज्य में ओबीसी को क्या मिल रहा है। कारण हैरानी होगी कि यहां के ज्यादत्तर लोगों को पता ही नहीं होता है कि वह ओबीसी आदी से हैं। मोर्चा के मीडिया प्रभारी जगदीश यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि देश के तमाम राज्य वह चाहे यूपी, बिहार, तामिलाडु, आंध्रप्रदेश हो या अन्य राज्य वहां ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है लेकिन बंगाल में मात्र 17 प्रतिशत। जबकि सरकारी व नियमताः इस राज्य में 22 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी को देना चाहिए था। मीडिया प्रभारी के अनुसार महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 16% और मुसलमानों को 5% अतिरिक्त आरक्षण दिया गया। तमिलनाडु में सबसे अधिक 69 फीसदी आरक्षण लागू किया गया है। इसके बाद महाराष्ट्र में 52 और मध्यप्रदेश में कुल 50 फीसदी आरक्षण लागू है।  15(4) और 16(4) के तहत अगर साबित हो जाता है कि किसी समाज या वर्ग का शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो आरक्षण दिया जा सकता है। ज्ञात हो कि 1930 में एच. वी. स्टोर कमेटी ने पिछड़े जातियों को ‘दलित वर्ग’, ‘आदिवासी और पर्वतीय जनजाति’ और ‘अन्य पिछड़े वर्ग’ (ओबीसी) में बांटा था।

 

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