कोलकाता। पश्चिम बंगाल में जीटीए की पहली आम सभा की बैठक में अलग गोरखालैंड का प्रस्ताव पारित कराया गया है. इसे लेकर राज्य की राजनीति में बवाल मच गया है. विरोधी पार्टी माकपा और भाजपा सीएम ममता बनर्जी से राज्य के विभाजन को लेकर पारित प्रस्ताव को लेकर सवाल कर रहे हैं.प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया. कथित रूप से तृणमूल के पांच सदस्यों ने भी प्रस्ताव पर सहमति जताई है. इसे लेकर राज्य की राजनीति में बवाल मच गया है. विरोधी पार्टी माकपा और भाजपा ने भी इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है. भाजपा ने सीएम ममता बनर्जी से सवाल किया है कि क्या वह इस प्रस्ताव का समर्थन करती हैं? जीटीए पर उनका स्टैंड क्या है? भाजपा की विधायक अग्निमित्रा पॉल ने पूछा है कि सीएम अलग गोरखालैंड के प्रस्ताव को लेकर अपनी राय जाहिर करें.बता दें कि जीटीए की आम बैठक हुई थी. 55 प्रस्तावों को स्वीकार किया गया था.. इनमें से पहला प्रस्ताव था पश्चिम बंगाल से पहाड़ियों को अलग करने और गोरखालैंड का नया राज्य बनाने की बातचीत को लेकर थी. इस प्रस्ताव में जीटीए के पांच तृणमूल सदस्यों और अजय एडवर्ड की हमरो पार्टी के सात सदस्यों ने प्रस्ताव का समर्थन किया था.आसनसोल दक्षिण की भाजपा विधायक अग्निमित्रा पॉल ने ट्वीट किया, बिनय गोरखा टीएमसी के एक सदस्य ने गोरखालैंड के लिए जीटीए द्वारा रखे गए प्रस्ताव का समर्थन किया. उन्होंने ममता बनर्जी प्रशासन पर भी उंगली उठाई. सीएम मैम अपना स्टैंड क्लियर करें? क्या आप एक विभाजित बंगाल का समर्थन करती हैं ??” माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सभी मुख्यमंत्री को प्रिय हैं. दरअसल ममता बनर्जी ने ही गोरखालैंड की मांग को भड़काया था. बीजेपी उस उकसावे को मौका दे रही है. कभी बिमल गुरुंग, कभी विनय तमांग या अनीत थापा व्यावहारिक रूप पहाड़ में गड़बड़ी पैदा की कोशिश कर रहे हैं., वे राजनीति का खेल खेलकर बंगाल को तबाह कर रहे हैं. गोरखालैंड मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी है. यही जिम्मेदारी भाजपा को भी लेनी होगी.