प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर डा.आशिष सरकार की नाम की चर्चा

क्रांति कुमार
कोलकाता। राज्य के पंचायत चुनाव के परिणाम भले ही सत्तारुढ़ तृणमूल के पक्ष में आये हो लेकिन ग्राम बांग्ला में भी भाजपा मुख्य विपक्ष के तौर पर खड़ी हो गई है। लेकिन सच तो यह है कि संगठन के लिये यह परिणाम बेहतर परिणाम नहीं है और चुनाव परिणाम के बाद से ही प्रदेश भाजपा में बदलाव की चर्चा हो रही है। चर्चा है कि अगर प्रदेश भाजपा में नये सिरे से जान फूंकना है तो किसी ऐसे शख्स को प्रदेश भाजपा का मुखिया बनाया जाये जो प्रदेश से लेकर दिल्ली तक की राजनीति से लेकर तमाम दांव पेच को समझता हो। इधर चुनाव परिणाम आये नहीं कि उधर नये भाजपा मुखिया को लेकर कयासो से लेकर चर्चा का दौर शुरु हो गया है। सूत्र बताते हैं कि नये भाजपा प्रदेश मुखिया के तौर पर डा.आशिष सरकार का नाम उभर कर सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि डा. सरकार को राज्य से लेकर देश की राजनीति की अच्छी समझ व अनुभव है। ऐसे में उनके नाम को एक झटके से खारिज नहीं किया जा सकता है। दिल्ली संघ सूत्रों ने गोपनियता की शर्त पर बताया कि डा. सरकार कम से कम चार दशक से संघ के लिये सक्रिय तौर पर कार्यरत हैं। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदु परिषद से लेकर बीएमएस जैसे संगठनों में महत्वपूर्ण भागीदारी निभा चुके हैं। राम मंदिर आन्दोलन के लिये भी डा.आशिष सरकार कभी देश भर में चर्चा में रह चुके है और वह अपनी बेबाक टिप्पणी व राय के लिये जाने जाते है। अगर डा. सरकार को प्रदेश भाजपा की कमान मिलती है तो यहां हिन्दुत्व को बल मिलेगा ऐसा उनके जानने वालों का मानना है। दुसरी ओर तृणमूल से आये मुकुल राय के समर्थक चाहते है कि मुकुल राय के कारण ही तमाम जगहों पर चुनाव परिणाम सकरात्मक आये है । ऐसे में राय को ही प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी जाये। मुकुल राय के ऐसे तमाम चाहने वालों को तो ऐेसा लग रहा है कि राय के नाम पर मुहर लगनी तय है। जबकि प्रदेश भाजपा का एक धड़ा चाहता है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. आशिष सरकार को ही बनाया जाये। मामले पर जब डा. आशिष सरकार से बात की गई तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि माफ करें मै इस मामले पर कुछ नही कह सकता हूं जो संगठन का निर्णय ही सर्वोंपरि है। हां डा. आशिष सरकार ने यह जरुर कहा कि जिस तरह से राज्य में पंचायत चुनाव हुए है वह सत्तारुढ सरकार की गुण्डागर्डी का जीता जागता प्रमाण है। लोकतंत्र के लिये इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा कि वोंट ही छीन लिये गये हो। राज्य की मुखिया मुस्लिम तुष्टिकरण इस कदर डूबी हुई हैं कि आने वाली पीढ़ि व इतिहास माफ नही करेगी। बहरहाल यह अभीतक साफ नही हो सका है कि क्या सच में वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष क्या चंद दिनों के मेहमान हैं । क्या सच में प्रदेश भाजपा को बदलाव की जरुरत है। क्या बदलाव लोकसभा चुनाव के लिये संगठन की मजबूरी है या फिर जरुरी है। हो सकता है कि उक्त बातों का जवाब राज्य को जल्द ही मिल जाये।

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