• बढ़ा दी गई तमाम जगहों पर पुलिस की गश्त
  • विजय जुलूसों पर सख्ती का रुख

कोलकाता। लगभग 48 घंटे के बाद 19 मई को विधानसभा चुनावों के नतीजों से साफ हो जाएगा कि राज्य में किसकी सरकार बन रही है। ऐसे में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वह चुनाव मतगणना से लेकर परिणाम तक किस तरह से कानून व्यवस्था को बनाये रखें।  ऐसे में पुलिस राजनीतिक दलों के विजय जुलूसों पर अंकुश लगाने के उपायों पर विचार कर रही है। इस मुद्दे पर पुलिस के आला अधिकारी राज्य के गृह मंत्रालय और चुनाव आयोग के साथ भी बातचीत कर रहे हैं। पुलिस को आशंका है कि नतीजे सामने आने के बाद खासकर दक्षिण बंगाल के विभिन्न इलाकों में नए सिरे से हिंसा हो सकती है। मतदान के विभन्न चरणों के दौरान हुई हिंसा के बाद पुलिस को नतीजों के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा का अंदेशा है। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी भी उसके लिए चिंता का विषय है। महानगर से सटे उपनगरों में वामपंथी कार्यकर्ताओं की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। सूत्रों ने बताया कि पुलिस मुख्यालय लालबाजार ने 16 मई यानी सोमवार से ही महानगर के विभिन्न इलाकों में पुलिस की पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। पुलिस आयुक्त सोमेन मित्र ने तमाम उपायुक्तों को गश्त तेज करने और विभिन्न संवेदनशील इलाकों में वाहनों की कड़ाई से जांच करने का निर्देश दिया है। तमाम थानों से भी संबंधित इलाकों में मतगणना के दिन सुबह आठ बजे से ही गश्त बढ़ाने को कहा गया है। संयुक्त उपायुक्त (मुख्यालय) सुप्रतीम सरकार कहते हैं कि पुलिस बल वोटों की गिनती के बाद महानगर में कोई गड़बड़ी होने की स्थिति में उससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। हम हिंसा रोकने के तमाम संभावित उपायों पर विचार कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मतदान के दौरान कहा था कि चुनावी प्रक्रिया पूरी नहीं होने तक कानून व व्यवस्था की स्थिति की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है, राज्य सरकार की नहीं। उनके इस बयान से उत्साहित तृणमूल कांग्रेस नेताओं-समर्थकों ने विभिन्न इलाकों में उत्पात बढ़ा दिया है। चुनावों में जीत के बाद ऐसे नेता अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए किसा भी हद तक जा सकते हैं। पुलिस की तमाम रणनीति ऐसी झड़पों को रोकने पर केंद्रित है। बहरहाल देखना है कि पुलिस कितनी सख्ती के साथ अपने फर्ज को निभाती है।

 

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