नई दिल्ली। गंगा नदी के सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व को रेखांकित करते हुए जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने राजधानी दिल्ली में एक सांस्कृतिक संध्या ‘’एक शाम गंगा के नाम” का आयोजन किया। जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव अमरजीत सिंह इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। वर्ष 2008 में 4 नवंबर को गंगा को देश की राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया था। लोगों में गंगा नदी के बारे में जागरूकता फैलाने और उन्हें संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में नौकरशाहों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, कलाकारों, छात्रों, शिक्षकों, जल और नदी विशेषज्ञों, इंजीनियरों, मीडिया और अन्य हितधारकों सहित समाज के कई क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस सांस्कृतिक संध्या का उद्देश्य गंगा के कायाकल्प के चुनौतिपूर्ण काम के लिए सभी हितधारकों को एकजुट करना था। एकत्रित लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक श्री उदय प्रताप सिंह ने कहा, ‘गंगा केवल एक जल स्रोत ही नहीं, बल्कि यह लाखों लोगों की भावनाओं से जुड़ी हुई है। इस नदी को प्रदूषण से मुक्त करना आवश्यक है। जहां सरकार इस नदी के संरक्षण के लिए काफी परिश्रम कर रही है, वहीं इस काम में लोगों की भागीदारी भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।’ सांस्कृतिक संध्या का मुख्य आकर्षण पदम् भूषण डॉ. सरोजा वैद्यनाथ द्वारा तैयार की गई नृत्य नाटिका ‘नमामि गंगे’ थी। नृत्य नाटिका में कलाकारों ने बड़े आकर्षक ढंग से गंगा के इतिहास और उसके सौन्दर्य और उसकी निर्मलता और अविरलता को मिल रही चुनौतियों का प्रस्तुतिकरण किया। नृत्य नाटिका से पूर्व गायक श्री पार्थ पुरूषोत्तम दत्त् और उनकी पत्नी बीनापाणी दत्त और उनके समूह ने गंगा से जुड़े कई लोकप्रिय गीत पेश किए। इस अवसर पर हेरीटेज पब्लिक स्कूल के छात्रों ने त्रिशूर बंधुओं द्वारा तैयार किए गए नमामि गंगे गीत पर एक नृत्य नाटिका भी पेश की।