आम लोगों के सामने रोटी की मूलभूत चिंता

20 दिनों से बंद से टूटने लगी आमजन की कमर

सीएम ममता की दो टूक राज्य का विभाजन नहीं

कोलकाता/दार्जिलिंग/बर्दवान। उपभोक्तवाद के इस दौर में इस कहावत बाप ना भैय्या सबसे बड़ा रुपय्या को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। खारिज करेंतो भी कैसे  ठण्ड की तरी में सराबोर दार्जिलिंग हिल्स एरिया में सब कुछ बंद है।  इससे अब यहां की आम जनता की परेशानी अब बढ़नी शुरू हो गई है। बेशक यहां के लोग चाहते हैं कि हिल्स इलाके को अलग गोरखालैंड राज्य बना दिया जाए, लेकिन अब सेलरी, राशन और दूसरी बातों की चिंता भी सताने लगी है। यानी अब आमलोगों की कमर गोरखालैंड की मांग से टूट रही है।

आम जनता में किसी को नहीं मालूम कि आंदोलन कब तक चलेगा।  कब तक दार्जिलिंग बंद रहेगा।  आंदोलन से ज्यादातर ऐसे लोग जुडे़ हैं जो रोज कमाते और खाते हैं।  बहुत से ऐसे हैं जिनकी रोजी-रोटी महीने में मिलने वाली सेलरी से चलती है। ऐसे लोग अब तंगी का शिकार होने लगे हैं। सेलरी मिलेगी या नहीं यह सवाल सबके सामने मुंह बायये खड़ा है। जून का महीना खत्म होने की ओर है और दार्जिलिंग की आम जनता को नहीं मालूम कि उन्हें सेलरी मिलेगी भी नहीं.। अगर मिली भी तो कितने दिनों की मिलेगी।  पश्चिम बंगाल सरकार आफिस नहीं आ रहे जीटीए के 18 हजार कर्मचारियों के वेतन को रोकने पर विचार कर रही है. या फिर उनके गैरहाजिर दिनों का वेतन काटकर लिया जाएगा।गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के बेमियादी बंद के चलते पिछले दो हफ्तों से कर्मचारी आफिस नहीं आ रहे।हर महीने सरकार जीटीए कर्मचारियों पर 38 करोड़ से कहीं ज्यादा रकम खर्च करती है। लगातार बंद से लोगों ने अपने घरों में जो एक दो हफ्ते का राशन रखा था, वो खत्म हो रहा है. मोर्चा के समर्थक राशन दुकानदारों को धमकी दे रहे हैं, इसलिए सरकार भी दिलचस्पी भी खाद्य आपूर्ति में नहीं लगती. यहां का सारा राशन मैदानी इलाकों से आता है, अगर निकट भविष्य आपूर्ति पूरी तरह बंद हो गई तो आम जनता के लिए असल दिक्कतें शुरू हो जाएंगी।दुकानों के साथ बाजार, स्कूल और कालेज बंद हैं। सडकों पर वाहन नहीं दिखते।  दस दिनों से इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं।  बैंक और एटीएम तो कई दिनों से नहीं खुल रहे।  चूंकि यहां का मूल व्यावसाय पर्यटक की कमाई से जुड़ा है. चूंकि बंद का आयोजन उसी सीजन में किया जा रहा है, लिहाजा आम जनता की कमाई पर असर पड़ना स्वाभाविक है।

इधर गोरखालैंड की मांग को लेकर दाजर्ििलंग पहाड़ी में चल रहे आंदोलन के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज सीधे तौर पर पश्चिम बंगाल के विभाजन से इंकार किया है।उन्होंने आज एक सार्वजनिक बैठक में यहां कहा, कि बंगाल को विभाजित नहीं किया जा सकता है। मैं यह नहीं होने दूंगी। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा, कि वह कश्मीर को संभाल नहीं सकते हैं और दार्जिलिंग में दखल दे रहे हैं। उन्होंने इससे पहले कहा था कि गोरखालैंड के लिए गोरखा जनमुक्ति मोर्चा :जीजेएम: द्वारा चलाया जा रहा प्रदर्शन गहरे षडयंत्र का हिस्सा है और इसे पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी समूह और विदेशी देशों द्वारा समर्थन दिया जा रहा है।

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