जाकिर अली
हावड़ा। कहते है कि युग के हिसाब से ही सृष्टि का काम चलता है। जिसकी झलक हावड़ा में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली के त्योहार पर दिखी जहां सबका पाप हरने वाली मां गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिये कलियुग के गंगा संतानों को जागरुकता का दीप के प्रकाश को चहूं ओर फैलाने के लिये नुक्कड़ नाटक का सहारा लेना पड़ा। उत्तर हावड़ा नागरिक वृन्द द्वारा बांधाघाट पर भी 1111 दीपों के साथ माँ गंगा की स्तुति की गयी, मगर यहाँ ख़ास बात ये रही की पूजन- आरती के साथ ही गंगा की स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरूगता फैलाने के लिए एक नुक्कड़ नाटक भी किया गया जिसे लोगों ने बहुत सराहा। नाटक का मूल विषय था जाने अनजाने में हम जो गंगा को प्रदूषित करते हैं उसका दुष्परिणाम बताना और शपथ लेना की आज से कम से कम हम इस पाप में भागिदार नहीं बनेंगे और गंगा को फिर से स्वच्छ बनाएंगे। बहरहाल कलियुग के गंगा संतानों ने मां के खातिर किया नाटक क्या रंग लाएगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। वैसे नाटक की पटकथा अनु नेवटिया लिखा है। विजय शर्मा ‘विद्रोही’, पंकज शर्मा, गणेश नाथ तिवारी (विनायक), कन्हैया लाल साव (प्रिंस), रोहित गुप्ता, अजय कुमार झा, संजीत बर्मन, रितिका नेवटिया, तेजस्विनी साव, एवं इशिका साव ने नाटक मेंअभिनय किया। शामिल रहीं। साथ ही रविंद्र कुमार श्रीवास्तव ने माँ गंगा पर एक मनमोहक गीत प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में धर्मेंद्र गिरी, अजय कुमार झा, सुबोध साव, मनोज सिंह, बीरू साहनी, रंजीत झा, दीपक दुबे, रतन लाल गुप्ता, जितेंद्र चौधरी, अभिनाश शर्मा सहित अन्य का विशेष योगदान रहा।

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