हुगली सह कई जिलों में निरीहों पर गिरी गाज

जगदीश यादव 

Sudeep Ranjan Sarkar 1

फिल्म मेकर व अपराध मोनविज्ञानी डा. सुदीप रंजन सरकार।

कोलकाता।चांद के दर जमाना जा पहुंचा है और आज भी बंगाल में कथित लकड़सुंघे के आतंक के कारण तमाम जिलों में एक अजीब सी दहशत का वातावरण देखा जा रहा है। इन अफवाहों की रफ्तार इतनी तेज है कि अब यह शहर तक पहुंच गई है।  भले ही कथित लकड़सुंघे के बारे में यह तय नहीं होता कि वही लकड़सुंघा है लेकिन ऐसे लोगों को लकड़सुंघा समझ कर लोग उनपर हमला कार उन्हें मारपीट रहें हैं जो असल में निरीह होंते हैं। हुगली,मालदा, मुर्शिदाबाद , उत्तर चौबीस परगना से लेकर राज्य के तमाम जगहों पर इनदिनों कथित लकड़सुंघों के अफवाह से बच्चों में जहां थरथरी देखी जा रही है तो उनेक घरवालों में भी आतंक है। हुगली जिले के बालागढ़ में चौबीस घंटे पहले मां, बेटी सह चार लोगों को स्थानीय लोगों ने  कथित लकड़सुंघा का तगमा देकर जमकर पिटा। यह तो अच्छा हुआ की पुलिस ने स्थिति को सम्भाल लिया वरना कथित लकड़सुंघों की जान भी जा सकती थी।  हुगली जिले के एक कई लोगों ने बताया कि इन दिनों कोई अंजान आदमी एक खाली बोरी लेकर आता है और रहा है वह लकड़सुंघा बच्चों को एक खास लकड़ी सुंघाकर अपने पीछे चलने को मजबूर कता और फिर बच्चेे को बोरी में भर कर ले जाता है।

मामले पर फिल्म मेकर व अपराध मोनविज्ञानी डा. सुदीप रंजन सरकार ने बात करने पर बताया कि कभी तो हैरत होती कि हम किस जाहिलता के नशे में अभी भी डूबे हुए हैं। आज ग्रामीण अंचल के लोग भी स्मार्ट फोन का व्यवहार करतें हैं और देश दुनियां की खबरों से अंजान नहीं है। लेकिन दुसरी ओर कथित डायन और लकड़सुंघों ने हमारे मस्तिक पर कब्जा कर रखा है। आखिर यह कैसा बदलाव और मानसिकता है। स्थिति यहीं रही तो सरकारी तंत्र भी फेल होगी।  हम पता नहीं क्यों आत्म मंथन करना नहीं चाहते हैं। केन्द्र से लेकर राज्य की सरकारें अपने स्तर पर अंध विश्वासों के खिलाफ काम कर रही है लेकिन जबतक हम नहीं चेतेगे कुछ नहीं होसकता है।

Spread the love
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •