कोलकाता। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को प्रोफेसर अमल कुमार मुखोपाध्या्य से ‘मेटाफिजिक्स, मोराल्स  एंड पॉलिटिक्स’ नामक पुस्तक की प्रथम प्रति भेंट की। इस अवसर पर राष्ट्र पति श्री प्रणब मुखर्जी ने अपने संबोधन में कहा कि कि उन्हे प्रोफेसर अमल कुमार मुखोपाध्यातय से ‘मेटाफिजिक्सन, मोराल्सक एंड पॉलिटिक्स ’ नामक पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्तु करके अत्यन्तम खुशी हुई है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर अमल मुखोपाध्यासय घनिष्ठप मित्र और उत्कृतष्टे विद्वान हैं और भावी पीढि़यां उनकी प्रखर बुद्धि का स्मररण करेगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि 1961 में प्रोफेसर मुखोपाध्यावय ने पश्चिम बंगाल के राजकीय विद्वान के रूप में लंदन स्कू ल ऑफ इकोनोमिक्से में रिसर्च स्कॉेलर के रूप में दाखिला लिया था और 19वीं सदी के आदर्शवादी अंग्रेज राजनीतिक चिंतक टी एच ग्रीन पर पीएच.डी के लिए अनुसंधान प्रारंभ किया था। 1965 में लंदन विश्वचविद्यालय ने प्रोफेसर मुखोपाध्या य के थीसिस के आधार पर उन्हेंि पीएच.डी की उपाधि प्रदान की थी। उनका शोधग्रंथ ‘द इथिक्सी ऑफ ओबिडिएंस’ नामक ग्रंथ के रूप में प्रकाशित हुआ। बाद में उन्होंंने अपने कुछ पूर्ववर्ती निष्‍कर्षों को संशोधित करने का निर्णय किया। अब उसी अनुसंधान को एक नये शीर्षक ‘मेटाफिजिक्सय, मोराल्सक एंड पॉलिटिक्सन’ के अंतर्गत प्रकाशित किया गया है।

राष्ट्रापति ने कहा कि नैतिकता विहीन राजनीति का कोई अर्थ नहीं है। उन्होंनने कहा कि पिछली सदी के उत्तिरार्द्ध में इंटरनेट, मोबाइल फोन और संचार के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विषयक क्रांति के कारण व्यापक परिवर्तन हुए हैं। अनेक पुरानी धारणाओं में तेजी से बदलाव आया है। उन्हों ने आधुनिक विश्वह में हरित विचारों की प्रासंगिकता सिद्ध करने में योगदान के लिए प्रोफेसर मुखोपाध्यानय की प्रशंसा की।

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