राजभवन से मिली नई राह

कोलकाता। देश भर में डेंगू से सबसे ज्यादा मौतें पश्चिम बंगाल में हुई है यह भले ही चिंता की बात है लेकिन कहते है कि लोहा ही लोहे को काटता है उक्त कहावत अब डेंगू के मच्छरों पर लागू हो सकता है । कहने का आशय यह है कि अब मच्छरों से ही मच्छरों का खात्मा किया जा सकता है। जी हां, भले ही यकीन नहीं हो लेकिन यह सच  ही  है। कोलकाता नगरनिगम के कर्मचारियों को राजभवन परिसर में टोक्सोरिनकाइटिस प्रजाति के मच्छर मिले। डेंगू की रोकथाम की कोशिशों में एक बड़ी कामयाबी हाथ आई है।  इन मच्छरों को स्थानीय भाषा में हाथी मोशा कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस किस्म के मच्छरों का सिर देखने में हाथी के सिर जैसा लगता है। खास बात यह है कि ये मच्छर इंसानों को नहीं काटते हैं, बल्कि इसके लार्वा डेंगू मच्छरों का लार्वा खाकर जिंदा रहते हैं।dengu 2

टोक्सोरिनकाइटिस मच्छर ज्यादातर जंगली क्षेत्रों में पाए जाते हैं। कोलकाता में ये कहां से आए, अभी इसके बारे में स्थिति साफ नहीं हो सकी है। राजभवन के बांस मैदान में इन मच्छरों की मौजूदगी पाई गई है। कोलकाता नगरपालिका में मच्छर विशेषज्ञ देवाशीष बिश्वास ने कहा कि इन मच्छरों का कोलकाता में पाया जाना बहुत अच्छी खबर है। उन्होंने कहा कि डेंगू की रोकथाम का यह सबसे कारगर तरीका है। सिंगापुर और थाइलैंड में एडीज मच्छरों को मारने के लिए इन्हीं मच्छरों का इस्तेमाल किया जाता है। मालूम हो कि एडीज मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया के साथ-साथ जीका विषाणुओं के भी वाहक होते हैं। बहरहाल जो भी हो लेकिन राजभवन में हाथी मोशा (हाथी मच्छर) ने राज्य को मच्छरों के खात्मे के लिये नई राह तो दिखा ही दी है।

Spread the love
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •