गंगाघाटों पर दिखें सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
महानगर के 17 घाटों पर निगम के हजारों कर्मी रहें मौजूद

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फोटो- पुषन चक्रवर्ती

कोलकाता। दुर्गापूजा के लिये दुनिया भर में प्रसिद्ध पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा महोत्सव संपन्न होने के साथ ही प्रतिमा विसर्जन का दौर विजयदशमी के दिन से ही शुरू हो गया है।श्रद्धालुओं ने महनगर सह राज्य के तमाम गंगा घाटों पर देवी दुर्गा व उनके परिवार के सदस्यों को भरी आंखों से विदा किया। मंगलवार को प्रतिमा विसर्जन के लिये गंगा घाटों पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम देखें गये हैं। मंगलवार दोपहर बाद से ही कोलकाता के जजेस घाट, बाबू घाट, अर्मेनियन घाट सहित गंगा नदी के विभिन्न घाटों पर प्रतिमा विसर्जन के लिये श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया। प्रतिमा विसर्जन के सुचारु नियंत्रण के लिये कोलकाता पुलिस के साथ कोलकाता नगर निगम के कर्मियों को जिम्मेदारी दी गई थी। कोलकाता नगर निगम के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि महानगर के 17 घाटों पर निगम के करीब एक हजार कर्मी काम कर रहे हैं। विभिन्न घाटों पर हालात का जायजा लेने पहुंचे कोलकाता नगर निगम के मेयर परिषद सदस्य देवाशीष कुमार ने विसर्जन के लिये किये गये प्रशासनिक इंतजाम पर संतोष व्यक्त किया। दूसरी तरफ प्रत्येक घाट पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई है। घाटों के प्रवेश द्वार को पुलिस बैरिकेड से घेर दिया गया है। विसर्जन की वजह से गंगा के जल में होने वाले प्रदूषण को रोकने की कोशिशें भी प्रशासन की ओर से दिखाई दे रही है। किसी को भी फूल, बेलपत्र, धूप-दीप जैसे पूजा में उपयोग की जाने वाली सामग्री को नदी के जल में फेंकने की इजाजत नहीं दी जा रही। इन सामग्रियों को अलग स्थान पर एकत्रित किया जा रहा है।
मंगलवार को घरेलू पूजा की प्रतिमाओं के अलावा सार्वजनिक दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। इन प्रतिमाओं के विसर्जन में महिलाओ ने बढ-चढ कर हिस्सा लिया और सिन्दूरदान की परम्परा को निभाया। इसे ध्यान में रखते हुए घाटों पर बडी संख्या में महिला पुलिस की तैनाती की गई है। कोलकाता पुलिस के उच्च अधिकारी घाटों पर चल रहे विसर्जन की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रख रहे हैं। बुधवार को भी पुलिस के जवान नदी के पानी में गश्त लगा कर हर एक गतिविधि की निगरानी में लगे हैं। बताते चलें कि राज्य सरकार ने मोहर्रम को ध्यान में रख कर मंगलवार शाम साढे चार बजे तक ही प्रतिमा विसर्जन करने का निर्देश जारी किया था, लेकिन कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा को अमान्य करते हुए रात साढे आठ बजे तक विसर्जन का निर्देश दिया था।
इस मामले में राज्य सरकार को उच्च न्यायालय से दोहरा फटकार झेलना पडा था। पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने पुलिस की भूमिका पर असंतोष व्यक्त करते हुए रात साढे आठ बजे तक विसर्जन का निर्देश दिया था। सरकार ने इस निर्देश पर स्थगन आदेश की मांग करते हुए हाई कोर्ट के डिविजन बेंच में अपील दायर की थी लेकिन सोमवार को डिविजन बेंच ने न सिर्फ सरकार की याचिका खारिज कर दी बल्कि उसे धार्मिक मुद्दों पर तटस्थ रहने की नसीहत भी दी। अदालत ने कहा था कि सरकार का पहले से यह आशंका जताने का कोई तुक नहीं है कि मुहर्रम और विसर्जन के लिये दो समुदायों के लोग एक साथ निकलेंगे तो आपस में लड पडेंगे। अदालत ने यह भी कहा था यदि मुंबई पुलिस ऐसा कर सकती है तो कोलकाता पुलिस क्यों नहीं कर सकती? बताते चलें कि बुधवार दोपहर से सामूहिक पंडालों की प्रतिमाओ का विसर्जन भी शुरु हुआ जिसके कारण पुलिस की व्यपक ही नहीं बरन चुस्त व्यवस्था रही। कारण मोहर्रम के कारण किसी तरह का विवाद नहीं हो पुलिस इस बात के प्रति सतर्क देखी गई।

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