कोलकाता। ज्योति बसु के साथ मुलायम सिंह यादव का व्यक्तिगत समीकरण बेहद सौहार्दपूर्ण था। उन दोनों की एक दूसरे के प्रति परस्पर प्रशंसा थी जो कई मौकों पर परिलक्षित होती थी। वहीं तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी और मुलायम सिंह की दोस्ती का एक उदाहरण 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिला था, जब ममता बनर्जी खुद बनारस में अखिलेश यादव के लिए चुनाव प्रचार करने आईं थीं। समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का कोलकाता से खास जुड़ाव था और उन्होंने ही 1996 में ज्योति बसु को संयुक्त मोर्चा की सरकार का प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, बसु शीर्ष पद पर काबिज नहीं हो पाए क्योंकि उनकी पार्टी मार्क्सवादी कम्युनिस्टी पार्टी (माकपा) इसके खिलाफ थी। वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता ने बाद में संयुक्त मोर्चा सरकार का हिस्सा न बनने के पार्टी के फैसले को ऐतिहासिक भूल करार दी थी। यादव का आज गुरुग्राम के एक अस्पताल में निधन हो गया।
सपा संस्थापक यादव के करीबी व सपा के उपाध्यक्ष नंदा ने कहा, मुलायम सिंह यादव ने तब कहा था कि ज्योति बसु को प्रधानमंत्री होना चाहिए. वह (यादव) और मैं बंग भवन (दिल्ली) गए और बसु को प्रस्ताव दिया.पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री ने याद किया कि बसु ने उनसे कहा था कि वह प्रधानमंत्री कैसे बन सकते हैं क्योंकि वाम दलों के पास 545 सदस्यीय लोकसभा में पर्याप्त संख्या बल नहीं है. नंदा ने कहा, हमने उनसे (बसु से) कहा था कि आप बस हमारे प्रस्ताव पर हामी भर दीजिए.वहीं साल था 2012 और महीना चल रहा था जून का, दिल्ली से लेकर कोलकाता तक राजनीतिक तापमान गरम था, ये तय हो चुका था कि यूपीए की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी होंगे, लेकिन नाम की औपचारिक घोषणा बाकी थी. ऐसे में तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी कोलकाता से उड़ान भरतीं हैं और दिल्ली में लैंड होते ही पहुंचती हैं सीधे मुलायम सिंह यादव के घर, देश की राजनीति के लिए ये एक बड़ी घटना थी और ऐसा टर्निंग प्वाइंट था जिसने देश को एक नया तीसरा मोर्चा देने की उम्मीद बंधाई थी. यह पहला मौका था जब मुलायम सिंह और ममता बनर्जी खुले तौर पर एक-दूसरे के साथ नजर आए थे. ये सिलसिला हमेशा बरकरार रहा.

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