बिना रेलवें के इजाजात के ही मुहिम

कोलकाता। माझेरहाट पुल को तोड़ने के लिए रेलवे की अनुमति लिए बगैर राज्य सरकार ने इसके बचे हुए हिस्से को तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। हालांकि रेलवे की ओर से इसे लेकर कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई गई है, लेकिन नियमानुसार इसे गलत बताया जा रहा है। कोलकाता पुलिस की ओर से आज पुल के चारों ओर बैरिकेडिंग कर दी गई है। इसके साथ ही लोक निर्माण विभाग और नगर निगम की टीम ने एक साथ मिलकर पुल को तोड़ने का काम शुरू किया। हालांकि ब्रिज का जो हिस्सा दुर्घटनाग्रस्त हुआ है वहीं पर दाहिने ओर से पुल को तोड़ने का काम शुरू हुआ है। लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेलवे लाइन के ऊपर का जो है उसे तोड़ने के लिए रेलवे के अनुमति की जरूरत है। उसे तोड़ने का काम शुरू होगा उसके पहले निश्चित तौर पर अनुमति मिल जाने की संभावना है। हालांकि यह पूछने पर कि तोड़ने के दौरान दूसरा हिस्सा टूटकर रेल लाइन पर गिर जाए तो क्या होगा? तोड़ने का लोक निर्माण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुल को तोड़ने का काम इंजीनियरों की फौज की निगरानी में काफी सावधानी से हो रहा है। किसी तरह की दुर्घटना की आशंका नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि पूरे फ्लाईओवर को तोड़ने के लिए मुंबई से विशेष क्रशर मशीन मंगाई गई है जिसके जरिए ब्रिज के हिस्से को छोटे-छोटे टुकड़ों में आसानी से काटकर हटा दिया जाएगा। थोड़ी-सी भी धूल या गंदगी बाहर नहीं निकलेगी। इससे प्रदूषण से भी मुक्ति मिलेगी। ज्ञात हो कि गत चार सितंबर को पुल का एक हिस्सा दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें दबकर मेट्रो के दो मजदूरों समेत तीन लोगों की मौत हो गई है जबकि 24 लोग घायल हैं। दुर्घटना के बाद इसकी जांच के लिए गठित फॉरेंसिक टीम ने प्राथमिक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है कि पुल के बाकी बचे हुए हिस्से की मरम्मत अगर हो जाए तो आने वाले 50 सालों तक आसानी से चल सकेगा। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर गठित उच्च स्तरीय जांच टीम ने पुल को तोड़कर नए सिरे से बनाने का प्रस्ताव दिया था जिसे राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया। इसके नक्शे की डिजाइन भी तैयार कर ली गई है एवं मुख्यमंत्री के अनुमति के बाद इसे रेलवे के पास भेजा जाएगा।

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