गंगा से जुड़ी सुरंग से अंजान रही व्यवस्था
पूर्व मेयर ने राज्य सरकार को नाकाम कहा
निगम व सरकार पर उठे सवाल

जगदीश यादव
कोलकाता। लगता है कि राज्य सरकार समेत नगर निगम को ही अपने राज्य सहित महानगर के कई तमाम धरोहरों की जानकारी नही। बागड़ी मार्केट अगलगी के मामले में ऐसा ही कहा जा सकता है। आग के बाद राज्य सरकार व्यवसायियों की नियत पर ही जहां संदेह प्रकट कर रही थी वहीं निगम भी इन व्यवसायियों के सिर ही अगलगी का ठीकरा फोड़ कर अपनी पीठ बचा रही थी। लेकिन कहते है कि सांच को आंच कैसा.। इस अगलगी में साफ कहे तो पूरी की पूरी व्यवस्था की ही पोल खुल गयी है और अब व्यवस्था बगले झांक रही है। जी हां बागड़ी मार्केट में लगी आग के दौरान पानी की कमी के कारण राहत उपयुक्त पानी को तरसती रही तो वहीं व्यवस्था तो जैसे अपने ही घर में छुपे हीरे से अंजान रही। उन्हें पता तब चला जब मीडिया व व्यवसायियों ने शोर मचाना शुरु किया। साफ कहे तो वाममोर्चा की सरकार द्वारा बनवाया गया एक विशाल सुरंग के बारे में पता चला है जो सीधे गंगा नदी से जुड़ा हुआ है। हैरत की बात तो यह की इस प्राचीन सुरंग की जानकारी निगम सहित राज्य सरकार को भी जैसे नहीं थी। बड़ाबाजार के जानकारों व बुजर्गों ने बताया कि भले ही यह सुरंग सरकार की उदासीनता का शिकार हुआ है लेकिन अगर समय रहते इसके मरम्मता कार्य किये गये होते तो बचाव व राहत कार्य पानी के लिये नहीं तरसती।
कहा जा रहा है कि इस सुरंग का निर्माण किसने करवाया था यह विवाद का विषय हो सकता है। लेकिन इसकी जानकारी से निगम अंजान ही थी। स्थानीय लोगों के गुस्से के बाद जब फायर विभाग के लोगों ने इमारत के ठीक पीछे स्थित अर्मेनियन स्ट्रीट में मेनहोल के नीचे का ढक्कन जैसे ही हटाया गया तो वहां एक काफी भव्य सुरंग मिला जिसका सम्पर्क सीधे गंगा नदी से जुड़ा है। दावा किया जा रहा है कि कि वाममोर्चा के दौर में जब कमल बसु मेयर थे यह सुरंग 1985 में बनाया गया था। बहहाल कहा जा रहा है कि ऐसी सुरंग महानगर में तमाम जगहों पर है जो गंगा से जुड़ी है।अर्मेनियन स्ट्रीट वाले इस सुरंग की उपेक्षा नही की गयी होती तो बागड़ी मार्केट में अरबों रुपये के नुकसान को कम किया जा सकता था। मामले पर कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर विकास रंजन भट्टाचार्या ने बातचीत में कहा कि यह दुर्भाग्य है कि जनता को ऐसी सरकार से पाला पड़ा है जो धरहरों की जानकारी भी नही रखती है। विकास रंजन भट्टाचार्या के आरोपों की माने तो वर्तमान राज्य सरकार ने उन तमाम सरकारी कर्मियों का स्थांतरण बदले की भावना से करवा दिया जिन पर वाममोर्चा के समर्थक होने का संदेह था। ऐसे अनुभवी लोगों की अब सरकारी विभागों में एक नही चल रही है वरना बागड़ी मार्केट की आग घंटों में बुझ जाती आज चार दिन हो गये। सुरंग की जानकारी नहीं होना सरकार की नाकामी ही है। जब राज्य में एक ही आदमी को दमकल मंत्री व मेयर बना दिया गया हो तो वह सीएम के अलालावा और किसकी सुनेगा। पूर्व मेयर ने कहा कि पानी सिर से गुजर रहा है। व्यवसायियों को सीएम गुण्डा कह रही हैं। ऐसे में व्यवसायियों को ऐसी मुख्यमंत्री का इस्तिफा मांगना चाहिए।

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