कहा, बंगाल में शिक्षा के महत्‍व को हमेशा सम्‍मान हमेशा मिलता रहा है

रौनक कुमार शंकर
खड़गपुर/कोलकाता। पारंपरिक रूप से, बंगाल की इस धरती और समाज में शिक्षा को महत्‍व और सम्‍मान हमेशा मिलता रहा है। शयद यही कारण रहा होगा कि पश्चिम बंगाल में पहला आईआईटी खोले जाने का निर्णय बहुत सोच-समझ कर लिया गया होगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महान लोग इस राज्य में जे. सी. बोस और एस. एन. बोस से लेकर मेघनाद साहा आदि जैसी अनेक मशहूर हस्तियों ने जन्‍म लिया है। उक्त बात आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कही। वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के 64वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए बोल रहे थें। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि, यह बहुत महत्‍वपूर्ण है कि आईआईटी खड़गपुर पूरे राज्‍य के लिए नवाचार और विकास का केन्‍द्र बने। उक्त संस्थान को बंगाल की अर्थव्‍यवस्‍था को और मजबूत बनाने तथा राज्‍य के प्रतिभावान बेटे-बेटियों के लिए अवसर बढ़ाने में योगदान देना चाहिए।  इस राज्य ने आई. आई. टी. खड़गपुर को अपना पूरा सहयोग दिया है। आई. आई. टी. खड़गपुर को भी इस राज्य की तरक्की में योगदान करना चाहिए। यहां पर मौजूद राज्‍यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी भी शिक्षा क्षेत्र से जुड़े रहे हैं और राज्‍य के विश्‍वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं। वह इस प्रक्रिया में अपना मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं। आईआईटी खड़गपुर और वास्तव में आईआईटी नेटवर्क और

दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण खिड़की बन गया है और यह हमारे देश और हमारे सभ्यता के चरित्र को ध्यान में रखते हुए है। ज्ञान, विशेषज्ञता, ज्ञान के क्षेत्र, इंजीनियरिंग से अर्थशास्त्र तक, चिकित्सा से लेकर प्रबंधन तक – हमारे नीति विकल्पों और हमारे लोगों के विकास में योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने पूरे देश में जिन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का दौरा किया है और उन्हें लगता है कि लड़कियां अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में अधिक पदक और पुरस्कार जीतती हैं। फिर भी, जब आईआईटी की बात आती है, तो छात्राओं का अनुपात कम होता है। लड़कियां बोर्ड परीक्षाओं, काॅलेजों और विश्वविद्यालयों में लड़कों को अक्सर पछाड़ देती हैं लेकिन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में उनकी संख्या दुखद रूप से कम है और इसे बढ़ाने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि 2017 में आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों की संख्या एक लाख 60 हजार थी, जिसमें से लड़कियां केवल 30 हजार थीं. उस वर्ष आईआईटी की स्नातक कक्षाओं में 10878 छात्र भर्ती हुए थे, जिसमें केवल 995 लड़कियां थीं। कोविंद ने कहा, यह विषय मुझे लगातार परेशान करता है। यह नहीं चल सकता, हमें इन संख्याओं के बारे में कुछ करना चाहिए. उन्होंने कहा, जब कोई बोर्ड परीक्षाओं के बारे में सोचता है तो लड़कियां अच्छा परिणाम लाती हैं। वे अक्सर लड़कों को पछ़ाड़ देती हैं. मैं देशभर में जिन काॅलेजों और विश्वविद्यालयों में जाता हूं, मैं छात्रों के मुकाबले छात्राओं द्वारा ज्यादा पदक जीतने की प्रवृत्ति देखता हूं। लेकिन आईआईटी में छात्राओं की संख्या दुखद रूप से कम है। राष्ट्रपति ने कहा कि आईआईटी खड़गपुर में प्रवेश पाने वाले 11653 छात्रों में से 1925 लड़कियां हैं। देश में उच्चतर शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में महिलाओं की भागीदारी आगामी दशक में उचित एवं स्वीकार्य स्तर तक बढ़नी चाहिए और यह राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए और आईआईटी समिति को इस दिशा में आगे कदम बढ़ाना चाहिए। कोविंद ने कहा कि इस लक्ष्य को पूरा किये बिना और लड़कियों तथा युवतियों के लिए कामकाज के अवसर पैदा किये बिना समाज का विकास कभी पूरा नहीं हो सकता.। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी इस समारोह में सम्मानित अतिथि थे।

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