कोलकाता।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने रविवार को फिर अपने उक्त वक्यतव्य को जायज ठहराया जिसमें जाधवपुर विश्वविद्यालय (जेयू) की छात्राओं के एक वर्ग को ‘बेशर्म’ कहा था। हलांकि  घोष के इस बयान को लेकर देश भर में उनकी निंदा की जा रही है। लेकिन, रविवार को उन्होंने अपने इस बयान का बचाव भी खुद ही किया। घोष ने कहा, अपना विरोध जताने के लिए छात्र महिलाओं का अधोवस्त्र पहनते हैं, जबकि छात्राएं सैनिटरी नैपकिन पहनती हैं। विरोध के नाम पर वे सार्वजनिक रूप से एक दूसरे का चुंबन लेते हैं। क्या यही शालीनता है? क्या हम अपनी भावी पीढ़ी को यही सीख देना चाहते हैं। बता दें कि वर्ष 2015 में विश्वद्यिालय छात्रों के एक वर्ग ने दुष्कर्म और लैंगिक भेदभाव के खिलाफ ‘सैनिटरी पैड’ और ‘मॉरल पुलिसिंग’ के खिलाफ ‘किस ऑफ लव’ अभियान चलाया था। भाजपा नेता विश्वविद्यालय के छात्रों के इसी विरोध प्रदर्शन के बारे में बात कर रहे थे। घोष ने कहा, मैने उसी भाषा का प्रयोग किया है, जो उनके लिए उपयुक्त है। अगर वे जो करते हैं, वह शालीनता है, तो मैंने उनके लिए सही भाषा का प्रयोग किया है।

बता दें कि घोष ने छह मई को ‘बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम’ फिल्म की स्क्रीनिंग के मौके पर हुई झड़प के दौरान आरएसएस की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ लगे छेड़छाड़ के आरोप के संदर्भ में कहा कि छात्राएं झड़प के दौरान वहां मौजूद क्यों थीं। छह मई को एबीवीपी के कार्यकर्ताओं और वामपंथी झुकाव वाले छात्रों के बीच झड़प हुई थी। घोष ने शनिवार को कहा था, “जिन्हें अपनी मर्यादा का इतना डर है, वे वहां क्यों गईं? यह बेशर्मी है। ऐसे आरोप (छेड़छाड़ के) लगाना बेहद शर्मनाक है। इन लड़कियों का समर्थन नहीं किया जाना चाहिए। वे खुद जानबूझ कर दूसरों पर गिरी थीं और अब वे दूसरों पर इल्जाम लगा रही हैं।” घोष की टिप्पणियों की चौतरफा निंदा की जा रही है। राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “अगर भाजपा और आरएसएस में कोई नैतिकता है, तो उन्हें हमारे देश की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए।” मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने कहा, “राज्य के बदजुबान भाजपा नेताओं की आदतन टिप्पणियां कोई नई बात नहीं है। यह आरएसएस की तालिबानी मानसिकता के बिलकुल अनुरूप है।” खैर देखना है कि दिलीप घोष क्या त तक अपने बयान पर कायम रहते हैं?

 

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