हो सकता है फुलिया के दुपट्टा व ओढ़नी का भी पंजीकरण

कोलकाता। रसगुल्ले के बाद अब बारी है बंगाल की विश्व प्रसिद्ध साड़ियों की। केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय संपदा अधिकारों के संरक्षण के लिए पश्चिम बंगाल की कई प्रसिद्ध साड़ियों को जीआइ टैग (भौगोलिक संकेतक) दिलाने की कवायद में जुट गया है। एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय की कपड़ा समिति ने इस बाबत साड़ी तैयार करने वाले राज्य के विभिन्न बुनकर समुदायों से संपर्क किया है।वर्तमान में बंगाल से केवल तीन प्रकार की साड़ियों- शांतिपुर साड़ी, बालूचरी साड़ी और धनियाखाली साड़ी को ही जीआइ टैग प्राप्त है। केंद्रीय कपड़ा समिति के उप निदेशक टीके राउत ने शुक्रवार को बताया कि हम खासा पहचान रखने वाली बंगाल की ज्यादा से ज्यादा साड़ियों के जीआइ पंजीकरण के लिए राज्य के विभिन्न बुनकर समुदायों से संपर्क कर जानकारी जुटा रहे हैं। इनमें कुछ मशहूर साड़ियां- बंगाली जामदानी, बेगमपुरी व बंगाली तंगाइल आदि है जिसका बड़ी मात्रा में निर्यात किया जाता है।उन्होंने बताया कि फुलिया के प्रसिद्ध दुपट्टा व ओढ़नी के जीआइ पंजीकरण के लिए भी बुनकर आवेदन कर सकते हैं।राउत ने कहा कि एक बार जीआइ टैग मिलने के बाद इन उत्पादों के संरक्षण का अधिकार मिल जाएगा और ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है जो इन उत्पादों के वास्तविक दावेदार नहीं थे। यहां तक कि इन उत्पादों के निर्यात बाजार की भी रक्षा की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय जीआइ टैग दिलाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए भी काम कर रहा है।यह प्रमाणित होने के बाद खास भौगोलिक क्षेत्र के किसी अन्य उत्पाद का उस नाम से व्यापार नहीं किया जा सकता है. अभी तक देश के 270 उत्पादों को जीआई अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है, जिसमें से 151 वस्तुएं वस्त्र और हथकरघा खंड से हैं.

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