फिर राज्य सरकार व आरएसएस में ठनी

कोलकाता। महानगर कोलकाता में एक बार फिर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम में व्यवस्था की गाज गिरी है। ऐसे में एक बार फिर राज्य सरकार और आरएसएस आमने-सामने आ गए हैं। तीन अक्टूबर को महानगर के सिस्टर निवेदिता मिशन ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम की हॉल बुकिंग कैंसिल कर दी गई है। बता दें कि इस कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत लेक्चर देने वाले थे।  कार्यक्रम में बंगाल गवर्नर केशरीनाथ त्रिपाठी चीफ गेस्ट बनने वाले थे। मिशन ने दावा किया है कि ‘महाजति सदन’ राज्य सरकार की देख-रेख में चलता है. यहां तीन अक्टूबर को कार्यक्रम की बुकिंग कराई गई थी, जिसे कैंसिल कर दिया गया है।आएसएस का कहना है कि बुकिंंग होने के बाद इसे रद्द किया गया। जबकि टीएमसी का कहना है कि हॉल के मरम्मत की वजह से बुकिंग रद्द हुई।मिशन की तरफ से रंतिदेव सेनगुप्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम की बुकिंग जून में की गई थी। कार्यक्रम पूजा के बाद छुट्टी के दिनों में होने के कारण बुकिंग के लिए अधिक चार्ज लिया गया। लेकिन पिछले सप्ताह हॉल की ओर से बुकिंग कैंसिल करते हुए कहा गया कि उनके पास इसका अधिकार है। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता खालिद ईबादुल्लाह ने कहा, ‘महाजति सदन राज्य सरकार के अधीन है। वहां मरम्मत का काम हो रहा है। बुकिंग कराते वक्त नहीं पता रहता कि यह किसके लिए कराई गई है।  मोहन भागवत की वजह से इसे कैंसिल नहीं किया गया है। वहां सभी की बुकिंग कैंसिल हो रही है।’ उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी को छोड़कर आरएसएस को कोई पसंद नहीं करता. देश की सभी पार्टियों के साथ उनका विवाद चलता है।यह पहली बार नहीं है जब राज्य सरकार ने भागवत को सार्वजनिक समारोहों को संबोधित करने से रोकने की कोशिश की हो। इससे पहले जनवरी में कोलकाता पुलिस ने भागवत की रैली को शहर में जाने से मना कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने निर्णय के खिलाफ फैसला सुनाया। राज्य सरकार को यात्रा का समय सही नहीं लगा, क्योंकि विजय दशमी (दुर्गा पूजा का अंतिम दिन) और मुहर्रम 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को है. भगवा शिविरों में पहले से ही विजय दशमी पर शास्त्र पूजा करने की योजना है।इससे पहले केरल के पल्लकड़ में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मोहन भागवत ने रोक के बावजूद ध्वजारोहण किया था। इसके बाद ध्वजारोहण करने पर रोक लगाने वालीं कलेक्टर का ट्रांसफर कर दिया गया था।  पल्लकड़ की कलेक्टर पी. मेरीकुथी ने आदेश दिया था कि कोई भी राजनीतिक व्यक्ति स्कूल में ध्वजारोहण नहीं कर सकता. हालांकि, उनकी रोक के बावजूद भी मोहन भागवत ने ध्वजारोहण किया था। मोहन भागवत के तिरंगा फहराने के बाद मेरीकुथी ने सरकार को दी गई रिपोर्ट में कहा था कि मोहन भागवत पर केस दर्ज होना चाहिए। उन्होंने पुलिस को इसके निर्देश भी दे दिए थे।

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