जीएलपी को करेगा फिर शुरू

दार्जिलिंग । अलग गोरखालैंड राज्य के मुद्दे पर जहां जीजेएम पश्चिम बंगाल सरकार के साथ लंबे टकराव के लिए तैयार हो रहा है वहीं पार्टी का नेतृत्व अपनी ‘ शांतिरक्षण’ शाखा ‘गोरखालैंड पर्सनल’ (जीएलपी) को पुनर्जीवित करने की योजना बना रहा है। सूत्रो की माने तो राज्य सरकार से दो-दो हाथ के लिये गोजमुमो तैयार है। गोजमुमो की केंद्रीय समिति के सदस्य एवं जीएलपी के पूर्व प्रभारी कर्नल (सेवानिवृत्त) रमेश अलेय ने बताया ‘स्थिति दिन पर दिन बुरी होती जा रही है। हमें लगता है कि टकराव समय की बात है, इसलिए हमें राज्य सरकार के साथ लोकतांत्रिक तरीके से टकराव के लिए तैयार रहने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा ‘ हम (गोजमुमो) हमारे अपने शांतिरक्षण बल को पुनर्जीवित करेंगे तथा और युवाओं की भर्ती करेंगे। न तो हम और न ही जीएलपी किसी भी तरह की हिंसा के पक्षधर हैं, लेकिन हमें खुद को तैयार रखना होगा।’
अलेय ने कहा कि जीजेएम दार्जिलिंग की पहाड़ियों में 8000 सदस्यों का मजबूत बल बनाना चाहता है जो किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहेगा। पहाड़ियों से युवाओं की भर्ती कर जीएलपी की स्थापना करने का विचार गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरुंग ने साल 2008 में गोरखालैंड आंदोलन के दौरान दिया था। तब गुरुंग ने पहाड़ियों से पूर्व सैन्य कर्मियों और अधिकारियों के साथ एक बैठक की और उनसे युवाओं का चयन, भर्ती करने तथा उन्हें प्रशिक्षण देने का जिम्मा लेने का अनुरोध किया था।
इस संगठन का नाम पहले गोरखालैंड पुलिस रखा गया लेकिन फिर विभिन्न वर्गों के विरोध के चलते इसका नाम बदल कर गोरखालैंड पर्सनल (जीएलपी) रखा गया। शुरुआती चयन के बाद जीएलपी के लिए करीब 3000 युवाओं का चयन किया गया था। बल ने वर्ष 2009 में जीजेएम द्वारा आयोजित बंद लागू कराया था और यह सुनिश्चित किया था कि स्थानीय लोग सप्ताह में कम से कम तीन बार नेपाली परिधान पहनें। साथ ही बल ने शराब जब्त कर उसे नष्ट कर दी थी और गुरुंग तथा जीजेएम के शीर्ष नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराई थी। जीएलपी के युवाओं को मामूली मानदेय दिया जाता था और उनसे वादा किया गया था कि गोरखालैंड बनने के बाद उन्हें पुलिस बल में भर्ती किया जाएगा। बहरहाल, वर्ष 2011 में गोरखालैंड भूभागीय प्रशासन के गठन के बाद जीएलपी हाशिये पर चला गया और इसके ज्यादातर प्रशिक्षित युवाओं को जीजेएम की युवा शाखा में ले लिया गया।
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