संसद पर आतंकी हमले के 15 साल
नई दिल्ली। आज के दिन ही देश के दिल पर आतंकी हमला किया गया था। जी हां, आज संसद पर आतंकी हमले के 15 साल पूरे हो गए हैं. उस आतंकी हमले में शहीद हुए वीरों को संसद में आज श्रद्धांजलि दी गई.संसद पर हमले में शहीद हुए जवानों को संसद में मंगलवार को श्रद्धांजलि दी गई। पीएम नरेंद्र मोदी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह शामिल थे, सोनिया गांधी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और अन्य ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे संसद सदस्यों ने उनके सम्मान में कुछ पल का मौन रखा। संसद भवन परिसर में एक ब्लड डोनेशन कैंप का भी आयोजन किया गया। पीएम शहीदों की याद में ट्वीट किया, ‘साल 2001 में संसद पर हुए हमले के दौरान अपना जीवन कुर्बान करने वाले शहीदों को सलाम। उनकी बहादुरी को कभी भुलाया नहीं जाएगा।’ 13 दिसंबर 2001 को आतंकियों ने भारतीय संसद पर हमला किया था. उस आतंकी हमले में दिल्ली पुलिस के छह सदस्य, दो पार्लियामेंट सेक्योरिटी सर्विस के सदस्य शहीद हुए थे. संसद परिसर का एक कर्मचारी भी मारा गया. जवाबी कार्रवाई में पांचों आतंकी ढेर कर दिए गए. उस हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव चरम पर पहुंच गया था और भारत ने पश्चिमी मोर्चे पर सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दिया था.आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद के पांच आतंकी दोपहर 11.40 बजे डीएल-3सीजे-1527 नंबर वाली अंबेसडर कार से संसद भवन के परिसर में गेट नंबर 12 की तरफ बढ़े. गृह मंत्रालय और संसद के लेबल वाले स्टीकर गाड़ी पर लगे होने के कारण प्रवेश मिल गया. उससे ठीक पहले लोकसभा और राज्यसभा 40 मिनट के लिए स्थगित हुई थी और माना जाता है कि तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत करीब 100 संसद सदस्य उस वक्त सदन में मौजूद थे.सबसे पहले सीआरपीएफ की कांस्टेबल कमलेश कुमारी ने आतंकियों को देखा और तत्काल अलार्म बजाया. आतंकियों की गोली में मौके पर उनकी मौत हो गई. एक आतंकी को जब गोली मारी गई तब उसकी सुसाइड वेस्ट से विस्फोट हो गया और बाकी चार आतंकियों को भी सुरक्षाबलों ने मौत के घाट उतार दिया. अफजल गुरु : मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है. जैश-ए-मुहम्मद के गाजी बाबा के कहने पर संसद पर हमले की योजना बनाई. अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. सुप्रीम कोर्ट में भी फांसी बरकरार. दया याचिकाएं खारिज. नौ फरवरी, 2013 को फांसी दे दी गई.एसएआर गिलानी : दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोसेफर. निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. लेकि उच्च अदालत में सबूतों के अभाव में बरी कर दिए गए.शौकत हुसैन : दिल्ली के मुखर्जी नजर में पांचों आतंकियों के लिए रहने के इंतजाम करने का आरोप. निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई. बाद में उस सजा को दस साल की कैद में बदला गया. अच्छे आचरण के चलते जेल में सजा पूरी होने से नौ महीने पहले ही रिहा कर दिया गया.अफ्शां (नवजोत संधू) : शौकत की पत्नी. पांच साल की सजा मिली.