बंपर फसल के बावजूद जूट का कृत्रिम संकट के हालात

वरीय पत्रकार।

प्रभात गुप्ता

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में जूट के बढ़ते भाव ने राज्य की झूठ मिलो की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस साल जूट की बम्पर खेती के बावजूद जूट मिलों में कच्चे जूट की भारी कमी देखी जा रही है। आरोप है कि जूट के कारोबार से जुड़े कुछ असत्य लोग स्थानीय रंगदारों के साथ मिलकर जूट की कालाबाजारी में लिप्त हैं। इनका उद्देश्य बाजार में जूट का कृत्रिम संकट पैदा कर दाम बढ़ाना तथा मुनाफा कमाना है। जानकारी के अनुसार जूट बेलर्स एसोसिएशन (जेबीए) के बैनर तले जूट कारोबारी किसानों से कच्चा जूट खरीद कर मिलों को सप्लाई करते हैं।प्रति वर्ष जुलाई महीने से लेकर अगले साल जून तक जूट का सीजन माना जाता है। जूट के कारोबारी जूट मिलों में खपत कॉन्ट्रैक्ट करते हैं। जुलाई महीने में नया फसल आना शुरू हो जाता है। तभी जूट के कारोबारी जूट मिलों के साथ मौजूदा बाजार भाव से जूट सप्लाई करने का अनुबंध करते हैं। जूट का बाजार तेज होने के कारण कारोबारी पुराने भाव में जूट की सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। कारण यह कि बिक्रय मूल्य के मुकाबले कच्चा जूट भाव प्रति क्विंटल करीब ₹900 से अधिक बढ़ गया है। फलस्वरूप इन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। बताया जाता है कि जुलाई महीने में कच्चे जूट का भाव जहां ₹5700 प्रति क्विंटल था। वहां सितम्बर महीने में जूट का वर्तमान दर ₹7000 के करीब पहुंच गया है। कच्चे जूट की सप्लाई सामान्य नहीं होने का असर जूट मिलों के उत्पादन पर पड़ना शुरू हो गया है। ऐसी स्थिति में राज्य की कई जूट मिलों में तीन शिफ्ट के बदले दो शिफ्ट में ही उत्पादन हो रहा है। जूट के जानकारों का मानना है कि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में कच्चा जूट के अभाव में जूट मिलों के बंद होने की आशंकाएं बढ़ जाएंगी। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष महामारी कोरोना के कारण लॉकडाउन और चक्रवाती तूफान अम्फान ने एक तरफ जूट की खेती को नुकसान पहुंचाया था वहीं कच्चा जूट का भाव प्रति क्विंटल करीब ₹10000 तक पहुंच गया था। इसका सीधा असर जूट मिलों पर पड़ा था। राज्य की अधिकांश जूट मिलें बंद हो जाने के कारण हजारों की संख्या में श्रमिक बेरोजगार हो गए थे। जूट का कृत्रिम संकट होने के पीछे मुनाफाखोरी प्रमुख कारण है। इस संदर्भ में इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (ईज्मा) के शीर्ष अधिकारी का आरोप है कि जूट की खेती होने वाले जिलों में स्थानीय स्तर पर असत्य कारोबारियों का एक वर्ग रंगदारों के साथ मिलकर जूट की होर्डिंग कर रहे हैं। ताकि बाजार में जूट का कृत्रिम संकट पैदा हो और जूट का भाव काफी बढ़ जाए। तब होर्डिंग की हुई जूट को बाजार में अधिक मूल्य पर बेचा जा सके। ईज्मा के अधिकारी का कहना है कि जूट की कालाबाजारी होने की शिकायत जूट कमिश्नर तथा राज्य सरकार से की गई है। इधर, जूट कमिश्नर मलय चंदन चक्रवर्ती ने भी जूट की होर्डिंग होने की बात कबूल की है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए वह शीघ्र ही कड़ा कदम उठाएंगे। जूट के बढ़ते भाव के बाद उत्पन्न परिस्थितियों पर उनकी पैनी नजर है।

Spread the love
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •