नगर दायरा कोर्ट का एक अहम न्याय

कोलकाता। सात वर्ष के बाद नगर दायरा कोर्ट ने माओवादी नेता गौर चक्रवर्ती को निर्दोष माना। काण गौर के खिलाफ यूपीएपीए कानून के तहत अपराध ही साबित नहीं हो सका। न्यायधीश कुमकुम सिंह ने अपने कोर्ट में गौर चक्रवर्ती को निर्दोश बताया। बता दे कि 23 जून 2009 को कोलकाता  पुलिस ने उक्त माओवादी नेता को हिरासत में लिया था।  गौर चक्रवर्ती नाम के इस कथित माओवादी को एक लोकल टीवी चैनल के दफ्तर से पकड़ा गया।  सीपीआई माओवादी को आतंकी संगठन घोषित किए जाने के बाद गिरफ्तार होने वाला यह इस संगठन का पहला नेता है। तब  कोलकाता पुलिस के तत्कालीन डीसी जावेद शमीम ने कहा था कि कोलकाता पुलिस ने गौर चक्रवर्ती को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।  अलग पूछताछ में उसने संतोषजनक जानकारियां नहीं दीं तो उसे गिरफ्तार किया जाएगा।  हिरासत में लिए जाने से पहले इसने टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में गोर ने कहा था कि उसने कभी संगठन के लिए हथियार नहीं उठाया है।  माओवादियों ने पत्रों के जरिये उससे प्रवक्ता बनने को कहा था, और उसने ये बात कबूल कर ली थी। उसका कहना था कि अमन बहाली के लिए माओवादियों से बातचीत की जानी चाहिए। ज्ञात रहें कि तब तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी कहा था कि सीपीआई माओवादी पर पाबंदी का सरकार का फ़ैसला बिल्कुल सही है। उन्होंने उक्त बात पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद ज़िले के लालगोला में आयोजित एक सभा में  कहा था। उन्होंने यह भी कहा था कि एमसीसी और पीडब्लयूजी पर सरकार पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी थी।  ये  दोनों संगठन मिल गए और सीपीआई माओवादी के नाम से पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में अपनी गतिविधियां चला रहे हैं।  उन्होंने कहा कि सरकार के पास इसके बारे में पूरी जानकारी है।  गृह मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि इस संगठन को भी आतंकवादी संगठन माना जाना चाहिए।

 

Spread the love
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •