होने लगी वायरस की पूजा

जगदीश यादव
कोलकाता।देश दुनिया के लोग आज कोरोना वायरस से जूझ रहे हैं।चिकित्सक जहां दिनरात एककर संक्रमित मरीज़ों की जान बचाने में लगे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ देश के अन्य भागों की बात छोड़ दे तो महानगर कोलकाता सहित राज्य भर में  महिलाये इस बीमारी को दैविक शक्ति मान उसकी पूजा आराधना में जुटी हुई है। उत्तर चौबीस परगना के आलमबाजार गंगाघाट, हावड़ा के मैदान इलाका सहित कई जगहों सहित पोर्ट अंचल के गार्डेनरीच जैसे अंचलों में आज महिलाओं ने कोरोना वायरस से मुक्ति के लिये कोरोना को देवी मानकर पूजा की। इस दौरान महिलाओं ने गीत व सोहर भी गाया। दरअसल राज्य में हिंदी भाषी अंचलों में कोरोना को देवी माता का रूप मानते हुए उनके ग़ुस्से को शांत करने के लिए पूजा-अर्चना की होड़ लगी हुई है। महिलाओं ने कोरोना को देवी मानकर गुड़हल के नौ फूल, गुड़ की नौ डली, नौ लौंग और सिंदूर की नौ टीका लगाकर पूजा अर्चना की। उक्त महिलाओं ने कहा कि, पूजा के बाद कोरोना माता वायरस का प्रकोप शांत कर देगी। आलमबाजार व गार्डेनरीच में महिलाओं ने विधिवत पूजा के बाद सारी पूजन सामग्री को जमीन खोद कर पूजन सामग्री को दफना दिया उनका मानना है दफन करने के बाद बीमारी खुद व खुद दफन हो जायेगी और हम इस महामारी से छुटकारा पा जयेंगे। वैसे तथा कथित कोरोना माता की पूजा बंगाल के अलावा, बिहार, असम, छत्तीसगड़ जैसे प्रदेशों में हुई और हो रही है। महानगर कोलकाता व उसके समीपवर्ती अंचलों की बात करे यहां कोरोना माता के पूजन के दौरान इन महिलाओं में सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक उड़ाया और मास्क भी नहीं पहनी।मामले पर धार्मिक मामलों के जानकार पं. विजय उपाध्याय शास्त्री ने कहा, कि धर्म का मजाक उड़ाया जा रहा है। सनातन धर्म में इस तरह के कार्यों की धार्मिक कर्म काण्ड में कोई जगह नही है। कालीघाट मंदिर से लेकर दक्षिणेश्वर मंदिर तक कोरोना वायरस के सम्भावित खतरे के तहत आमजनों के लिये बंद है। जो हो रहा है यह धर्म के नाम पर अधर्म के अलावा और कुछ नही है। हमारे ग्रंथों में महामारी के शांति के लिये विज्ञान सम्मत उपाय है लेकिन अंध विश्वास के लिये कोई जगह नही है। इधर भारतीय विज्ञान व युक्तिवादी समिति के अध्यक्ष प्रबीर घोष ने कहा कि आज कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी दुनिया में फैला हुआ है। हर दिन इस वायरस से नए संक्रमण और मृत्यु की घटनाएं हो रही हैं। वहीं भारत में कोरोना से सुरक्षा के लिए दवा की जगह पर दुआ मांगी जा रही है। इस वायरस से बचने का एकमात्र उपाय है वैक्सीन। किन्तु हामरे देश के लोग वैक्सीन के बदले में कोरोना जैसी एक काल्पनिक देवी की कल्पना कर पूजा अर्चना की जा रही है। तर्क की कौसोटी पर ईश्वर एक कल्पना और अफवाह है। ऐसी स्थिति में कोरोना देवी भी कोरी कल्पना है। कोरोना से बचाव के लिए इस देवी की पूजा अर्चना भी सरासर मूर्खता है। कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षा के लिए देशभर में लॉक डाउन जारी है। सरकार के निर्देश के बाद भी कालीघाट, दक्षिणेश्वर मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों का दरवाजा बंद पड़ा हुआ है। कोरोना देवी की पूजा करने की ढकोसला से दूर रहना चाहिए। लोक सामाजिक दूरी बनाएं रखें। मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें लेकिन पूजा अर्चना कर कोरोना वायरस के बचने की मूर्खता नहीं करे।

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