कोलकाता। अपराधी चाहे जितना भी शातिर क्यों नहीं पुलिस चाहे तो उसे उसके अंजाम तक पहुंचा सकती ही।  दारागंज के पार्षद को नगर आयुक्त के नाम पर ढाई लाख रुपये का चूना लगाने के मामले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। मामले में पुलिस को अपराधी के कोलकाता लिंक व सेटिंग का  पता लगा रही है। पुलिस ने बताया कि ठगी को जाम देने के लिये ठगों ने कोलकाता में सिम खरीदा था। जबकि बिहार में बैंक अकाउंट खुलवाया और यूपी के शहरों में ठगी का जाल फैला दिया। पार्षद राजेश कुमार को जिस नंबर से कॉल कर ढाई लाख रुपए ठगे गए, उसी नंबर से कई लोगों को झांसा देने की कोशिश की गई है। गोरखपुर में भी वहां के नगर आयुक्त के नाम पर फोन कर उतनी ही रकम मांगी गई। ट्रू कॉलर के जरिए पड़ताल करने पर यह नंबर ‘आलोक रंजन चीफ सेकेट्री’ के नाम दिखाता है। यह नाम दिखने से नंबर उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह आलोक रंजन का होने का भ्रम पैदा होता है।

ठगी के शिकार हुए पार्षद राजेश ने बताया कि बैंक के जरिए जानकारी मिली कि जिस बैंक खाते में रकम डाली थी, वह बिहार के सीतामढ़ी की एसबीआई शाखा का है। खाताधारक का नाम धीरज दर्ज है। छानबीन करने पर खाताधारक का एक मोबाइल नंबर भी मिला है लेकिन उस नंबर से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पुलिस को शक है कि इसके पीछे किसी अंतरराज्यीय गिरोह का हाथ है। कोलकाता से सिम खरीदने और बिहार में बैंक अकाउंट खुलवाने में फर्जी पते और डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल किया गया होगा। दारागंज पुलिस मुकदमा दर्ज कर साइबर सेल की मदद से आरोपी को ट्रेस करने में लगी है।

दारागंज वार्ड नम्बर 59 के पार्षद राजेश कुमार निषाद को  नगर आयुक्त शेषमणि पांडेय के नाम पर 8479894964 नंबर से कॉल आई थी। उन्होंने ढाई लाख रुपये की मदद मांगी तो पार्षद ने बिना पड़ताल किए ही दिए गए बैंक खाता में ढाई लाख रुपये जमा कर दिए थे। ठगी की जानकारी होने के बाद पुलिस से शिकायत की। इसी दिन गोरखपुर में भी वहां के नगर आयुक्त के नाम पर इसी नंबर से कई पार्षदों को काल कर रुपये की डिमांड की गई। बहरहाल जो भी हो पुलिस मामले की जांच के लिये कोलकाता भी आसकती है और इसके जांच किये जाएगें कि ठगों को कोलकाता में सिम कार्ड कैसे उपलब्ध कराये गये थें।

 

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