दिल्ली सरकार पर फिर फूटा सीएम का गुस्सा
लगाया भाजपा, कांग्रेस व माकपा पर एक जैसा होने का आरोप

उत्तर दिनाजपुर। आपलोग राज्य में हमे 42 में 42 सीटों पर जित दिलाये और इंतजार करे कि कैसे तृणमूल दिल्ली में सरकार बनाती है। दिल्ली में एक नये सरकार की जरुरत है। उक्त बात आज राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर दिनाजपुर के बालूरघाट से तृणमूल प्रार्थी अर्पिता घोष की चुनावी जनसभा में कही। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली की मोदी सरकार ने बिते पांच साल में जन विरोधी कार्यों को ही अंजाम दिया है। जीएसटी से लेकर नोटबंदी, एनआरसी सहित तमाम कार्यों से लोगों को तहाह व परेशान किया है। ऐसे में इस तरह की सरकार की कोई जरुरत नही है। ममता ने कहा कि भाजपा धर्म के नाप पर लोगों में विभेद करती है और खून खराबे को अंजाम दिलवा रही है। लेकिन सब जानते है कि तृणमूल की सरकार किसी तरह का भेदभाव नही रखती है और सभी धर्मों व जातियों का समान सम्मान करती है। ममता ने आरोप लगाते हुए कहा कि गुजरे कुछ वर्षों से इस राज्य में रामनवमी के अवसर पर गड़बड़ी फैला कर शांति को भंग किया जा रहा है। चुनाव के समय में ऐसा ही हुआ है। इस बार बी राज्य के कई जगहों पर गेरुआधारियों को हाथों में हथियार लेकर जुलूस में शामिल होते देखा गया है। यहां तक कि दिलीप घोष भी गदा भांजते देखें गये हैं। इस राज्य में गदा, तलवार जैसे हथियार लेकर जुलूस क्यों जरुरी है। मां दुर्गा के हाथों में तो त्रिशूल होता है तो क्या हमलोग भी अपने हाथों में त्रिशूल उठा ले। भाजपा धर्म की राजनीति करती है लेकिन हिंदू धर्म काफी बड़ा है। हम सभी धर्मों का सम्मान करते है। हिंदू की तरह इस्लाम धर्म भी महान है। ममता बनर्जी ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली में महा विपक्षी एकता की सरकार बनेगी । मोदी सरकार अपने पांच साल के शासनकाल में पूरी तरह से फेल हुई है।जो वादे किये थे वो पूरे नहीं हुए। तृणमूल सुप्रिमों ने आरोप लगाया और लोगों से अनुरोध किया कि वह कांग्रेस, बीजेपी और वामपंथी दलों के ‘घातक गठबंधन’ को पराजित करें। कारण सभी एक दुसरे से मिले हुए हैं। ममता ने कहा कि बीजेपी, कांग्रेस और लेफ्ट के इस घातक गठबंधन को हराकर तृणमूल कांग्रेस बंगाल की सभी 42 सीटों पर चुनाव जीतेगी। उन्होंने कहा कि बीजेपी धर्म के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है। वह लोकसभा चुनावों से पहले इसका इस्तेमाल लोगों को बांटने के लिये औजार के रूप में कर रहे हैं, लेकिन बंगाल की संस्कृति कभी हिंसा का समर्थन नहीं करती।

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