कविता की क्यारी… (गजल)

                    रवि प्रताप सिंह सारी जमीँ पर हर तरफ कविता की क्यारी है| फ़लक के चाँद तारोँ पर हमारी दावेदारी है| कलम से खौलता है खून सरह...