पटना: राजनीति में कोई किसी का सगा या फिर कहे कि दुश्मन नही होता है। बस राजनीति अपनी चरित्र के नायाब रंग दिखाती ही रहती है। कब किसे कौन सा रंगा भा जाए कहना मुश्किल होता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद सुु्प्रीमो लालू यादव को फोन किया और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। उसके बाद बिहार में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। जहां इसपर जदयू और भाजपा ने सफाई दी है तो वहीं राजद ने तंज कसा है।जदयू ने कहा है कि सीएम नीतीश ने औपचारिकतावश फोन कर पूर्व मुख्यमंत्री का हालचाल पूछा, इसमें राजनीति करना ठीक नहीं है। अगर कोई बीमार है तो उसका हालचाल लोग पूछते ही हैं, एेसे में नीतीश कुमार ने फोन कर हाल पूछ लिया तो क्या हो गया? जदयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि शिष्टाचार के तौर पर की गई बातचीत को राजनीति से जोड़ना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि फिलहाल राजद से नजदीकी बढ़ने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने राजद पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया और आलोचना भी की। इधर, बीजेपी नेता नंद किशोर यादव ने भी इस मामले में राजनीति करने के लिए विपक्षी दलों को घेरा है। यह एक सामान्य व्यवहार है, व्यक्तिगत रिश्ता के नाते नीतीश ने पूछा हाल, इसका कोई राजनीतिक मायने नहीं है। जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि शिष्टाचार के नाते नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव को फोन किया था। इसपर तेजस्वी यादव ने एेसी बात की। तेजस्वी यादव अभी गली-मुहल्ले के नेता हैं और इस तरह का बयान दे रहे हैं। उन्हें एेसे बयानों से परहेज करना चाहिए। राजनीति में शिष्टाचार सीखना भी जरूरी है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्याक्ष शिवानंद तिवारी ने तंज कसते हुए कहा कि लालू पिछले कई महीने से बीमार हैं। सभी लोग उनका हाल जानने के लिए अस्पताल पहुंचे लेकिन नीतीश ने उन्हें फोन तक नहीं किया। एनडीए में जब नीतीश पर दबाव बढ़ा तब उन्होंने लालू को फोन लगाया। नीतीश किस मुंह से सोच रहे हैं कि उन्हें महागठबंधन में जगह मिल जाएगी। तिवारी ने कहा कि जब बीजेपी छोटे भाई की भूमिका के लिए तैयार नहीं हुई तब नीतीश को लालू की याद आई। उन्होंने कहा कि हो सकता है लालू नीतीश की बात मान लें लेकिन तेजस्वी ही अब महागठबंधन के नेता हैं। वे किसी भी हाल में नीतीश को महागठबंधन में शामिल नहीं होने देंगे।

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