“विजयदशमी” (दशहरा) पर “शस्त्र पूजा” का आयोजन

कोलकाता। इस साल अप्रैल में जब राम नवमी आयी तो साफ हो गया कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पश्चिम बंगाल में अपनी राजनीतिक जमीन के विस्तार के लिए “राम नाम के सहारे” है। एक बार फिर बीजेपी कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टियों और तृणमूल कांग्रेस का प्रभाव वाले इस राज्य में “राम नाम” के सहारे अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश करेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी पूरे राज्य में “विजयदशमी” (दशहरा) के अवसर पर “शस्त्र पूजा” का आयोजन कर सकती है। इस आयोजन में तलवार, त्रिशूल इत्यादि हथियारों के साथ बंदूक की भी पूजा की जा सकती है। हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसरा विजयादशमी के दिन ही राम जी ने रावण का वध किया था। ये भी मान्यता है कि विजयादशमी के ही दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। विजयदशमी अश्विन (क्वार) महीने के शुक्ल पक्ष के दसवीं तिथि को मनायी जाती है।
भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाए जाने राम नवमी पर बीजेपी ने पूरे राज्य में 150 से ज्यादा रैलियां निकाली थीं जिनमें हथियार, त्रिशूल और लाठी-डंडे से लैस लोग शामिल थे। राम नवमी के दौरान बीजेपी द्वारा कुछ मुस्लिम इलाकों में निकाली गई रैली के दौरान पथराव और हिंसा भी हुई थी जिसमें कई दुकानें जला दी गई थीं। पुलिस ने हिंसा के आरोप में 10 लोगों को गिरफ्तार किया था। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी को हिंसा को बढ़ावा न देने को लेकर चेतावनी दी थी। बीजेपी ने ममता बनर्जी के आवास वाले इलाके में भी ऐसी रैलियां आयोजित की थीं।
इस साल दशहरा 30 सितंबर को है। विश्व हिंदू परिषद के नेता सचिंद्रनाथ सिंघा ने कहा कि अगर ममता बनर्जी ने उन्हें शस्त्र पूजा करने की इजाजत नहीं दी तो वो कानून का सहारा लेंगे। सचिंद्रनाथ ने कहा कि तलवार लेकर जुलूस निकालना गैर-कानूनी नहीं है और सरकार को लाइसेंसी हथियारों के संग जुलूस निकालने पर इसके बीच नहीं आना चाहिए। पश्चिम बंगाल प्रशासन के लिए बड़ी चिंता की वजह ये भी है कि दशहरा के दो दिन बाद ही एक अक्टूबर को मुहर्रम है जिसमें शिया मुसलमान ताजिया जुलूस निकालते हैं। साल 2016 में पश्चिम बंगाल में विजयदशमी और मुहर्रम के मौके पर कम क्षमता वाले बम धमाके हुए थे। बहरहाल देखना है कि भाजपा को इस राज्य में “राम नाम के सहारे” से कितना फायदा मिलता है।

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