पटना/नईदिल्ली। राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवारी के मामले पर विपक्ष के मध्य ही शब्दों के घमासान हो रहे हैं। भले ही तमाम पैतरेंबाजी की जा रही हो लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद केा देश के 14वें राष्ट्रपति होना तय है। वहीं बिहार के महागठबंधन में टूट पड़ चुकी है और इसके संकेत साफ दिखने लगे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन करने पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पलटवार किया है। आजाद ने सोमवार को कहा कि बिहार की बेटी की हार पर सबसे पहला निर्णय नीतीश कुमार ने लिया है। आजाद ने कहा कि जो लोग एक सिद्धांत में विश्वास करते हैं, वो एक फैसला लेते हैं। और जो लोग कई सिद्धांतों में विश्वास करते हैं, वो अलग-अलग फैसले लेते हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पहले व्यक्ति थे जिन्होंने बिहार की दलित बेटी की हार पर पहला फैसला लिया, हमने नहीं। बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि उनकी पार्टी अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है, साथ ही उन्होंने ‘बिहार की बेटी’ मीरा कुमार को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के फैसले की भी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि क्या बिहार की बेटी को हारने के लिए चुना गया है?
बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति के लिए बतौर उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी ने कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है। नीतीश कुमार ने विपक्ष के रूख को हारने की रणनीति करार देते हुए 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए बेहतर रणनीति की जरूरत बताया था। इधर इस बीच एनडीए उम्मीदवार कोविंद चुनाव प्रचार के लिए 28 जून को श्रीनगर जाएंगे और बीजेपी की सहयोगी पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक एलाय़ंस से अपने लिए समर्थन मांगेंगे। रविवार को कोविंद ने उत्तर प्रदेश का दौरा किया और लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर अपने लिए समर्थन मांगा। राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया 28 जून तक चलेगी। देश के अगले राष्ट्रपति के लिए 17 जुलाई को चुनाव होंगे।

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