जेटली के फोन के बाद मान गए रुठे शरद यादव
जदयू में जारी गतिरोध का हुअा पटाक्षेप

नई दिल्ली। बिहार की राजनीति में तमाम मोड़ आरहे है। नीतीश कुमार के भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के फैसले से जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव नाराज थे। जदयू नेताओं की नाराजगी पर विमर्श करने को शरद यादव एक दो दिन में बैठक बुलाने वाले थे, लेकिन इसी बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शरद यादव से फोन पर बात की। जेटली ने शरद यादव से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले पर गतिरोध खत्म करने की गुजारिश की। जेटली के अलावा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शरद यादव से फोन पर बातचीत की और पूरे घटनाक्रम से अवगत कराया।
समझा जा रहा है कि उन्‍हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में अहम पद देने का जेटली ऑफर कर सकते हैं. बीजेपी के समर्थन से नीतीश कुमार के सीएम बनने के बाद से ही शरद यादव को मोदी सरकार में मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. हालांकि मंत्री बनने के लिए यादव की ओर से कोई आधिकारिक पुष्‍टि नहीं की गई है.
वहीं जेडीयू के प्रवक्ता अजय अालोक ने बताया कि शरद यादव की अोर से कोई बयान नहीं अाया था, यह नराजगी की खबर केवल अफवाह है। पार्टी में कोई भी नेता नाराज नहीं है। सांसद अली अनवर का बयान जरूर अाया है, लेकिन वे भी अपनी बात पार्टी फोरम में रखेंगे।
वहीं जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शरद यादव को नीतीश कुमार ने समझाया कि लालू यादव से गठबंधन क्यों तोड़ना पड़ा। नीतीश कुमार ने बताया कि भ्रष्टाचार के केस सामने आने बाद उन्होंने खुद लालू यादव से तेजस्वी यादव का इस्तीफ़ा करने की अपील की थी, लेकिन लालू यादव ने इस्तीफा नहीं कराया। जिसके चलते उनकी सरकार पर सवाल खड़े हो रहे थे और सरकार की छवि खराब हो रही थी। एक तरफ जहां नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव को पूरे घटनाक्रम की पटकथा समझाई, वहीं दूसरी तरफ शरद यादव के दोस्त और मोदी कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री अरुण जेटली ने उन्हें भाजपा-जदयू गठबंधन के फायदे गिनाए। सूत्रों के मानें तो नीतीश और अरुण जेटली से बात करने के बाद शरद यादव संतुष्ट नजर आए।
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव जावेद रजा ने बताया कि नीतीश कुमार के फैसले के खिलाफ नाराजगी से अली अनवर अंसारी और वीरेंद्र कुमार ने शरद यादव को अवगत कराया है। उनके अलावा पार्टी की तमिलनाडु, गुजरात, केरल, कर्नाटक, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश इकाइयों के अध्यक्षों ने भी शरद यादव को फोन कर नीतीश कुमार के इस फैसले पर असहमति जताई है। सभी का कहना है कि नीतीश कुमार ने यह निर्णय लेने से पहले पार्टी के किसी फोरम पर इसकी चर्चा नहीं की। खुद से यह निर्णय लिया और बुधवार शाम पार्टी विधायकों को अवगत कराया। शरद यादव ने सबकी बातें सुनीं और इस मुद्दे पर उन्होंने एक दो दिन में बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। वह जदयू संसदीय दल के नेता भी हैं। नीतीश कुमार के इस फैसले पर पार्टी के राज्यसभा सदस्य अली अनवर अंसारी और वीरेंद्र कुमार के अलावा राष्ट्रीय महासचिव अनिल सिन्हा ने भी विरोध जताया है।

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