सेंट्रल डेस्क।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध पूर्णिमा दिवस समारोह 2016 को लेकर केन्द्रीय संस्कृति (स्वतंत्र प्रभार), पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार) तथा नागर विमानन राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा की अध्यक्षता में यहां आयोजन समिति की बैठक हुई। इस बैठक में गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू, संस्कृति मंत्रालय में सचिव एन. के. सिन्हा और समिति के गणमान्य सदस्य उपस्थित थे। बौद्ध पूर्णिमा या  वैशाख की पूर्णिमा को भगवान बौद्ध में जन्म एवं निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती हैं| जब लुंबिनी, जो कि वर्तमान में नेपाल में है, में बौद्ध का जन्म हुआ, उन्होंन बिहार के बौधगया में संबोधि प्राप्ति प्राप्त कर ली। ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ में दिया था। इसे धर्म चक्र प्रवर्तन कहा जाता है। कुशीनगर में उन्होंने महापरिनिर्वाण की अवस्था को प्राप्त किया। इन ऐतिहासिक अवसरों, जिन्होंने मानव सभ्यता की धार्मिक और आध्यात्मिक दिशा को परिवर्तित किया, को जश्न के तौर पर मनाने के लिए यह जरूरी है कि बौद्ध पूर्णिमा को उपयुक्त ढंग से मनाया जाए। इसलिए इस शुभ अवसर को फिर से 21 मई, 2016 को भव्य तरीके से मनाने का प्रस्ताव है। इससे न सिर्फ भारतीय चेतना में बौद्ध की शिक्षाओं का समावेश करने में मदद मिलेगी बल्कि दुनिया की नजरों में भारत के उस ऐतिहासिक दर्ज की पुष्टि होगी जहां बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई, और जहां बौद्ध ने संबोधिप्राप्ति, धर्मचक्र प्रवर्तन और महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया। यहां इस बात का उल्लेख भी किया जा सकता है कि पिछले वर्ष नई दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध पूर्णिमा दिवस समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की कि आगे से बौद्ध पूर्णिमा को भारतीय कैलेंडर में एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में प्रमुख स्थान मिलेगा। इन उत्सवों को मनाने के लिए केन्द्रीय संस्कृति (स्वतंत्र प्रभार), पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार) तथा नागर विमानन राज्यमंत्री डॉ. महेश शर्मा की अध्यक्षता में एक आयोजन समिति गठित की गई। इस समति में गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा सह-अध्यक्ष होंगे। वेन लामा लोबजैंग, महासचिव, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी), जो कि एक वैश्चिक बौद्ध संस्था है और जिसका मुख्यालय दिल्ली में है, भारत में बौद्ध परंपराओं के प्रचार-प्रसार में संयोजक होंगे।

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