सीबीआई की अदालत ने सुनाई सजा 

कोलकाता। बंगाल से नकली नोटों की तस्करी के तीनों अभियुक्तों को सीबीआई अदालत ने सजा सुनाई गई। अभियुक्त महिला को सात वर्ष और उसके दोनों सहयोगी युवकों को 10-10 वर्ष कैद की सजा सुनाई गई है। अदालत ने अभियुक्तों को सवा-सवा लाख रुपये का अर्थदंड भी सुनाया है। सीबीआई की विशेष अदालत मे  यह फैसला आया। विशेष न्यायाधीश राजेश चौधरी ने पुख्ता साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर तीनों अभियुक्तों शालू, कासिम और टीका को दोषी ठहराया। अदालत से शालू को सात वर्ष और कासिम व टीका उर्फ अफजुल को 10-10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। गिरोह के चौथे आरोपी का सुराग नहीं मिला है। शालू और कासिम स्वार, रामपुर के हैं, जबकि टीका मालदा, पश्चिम बंगाल का है। रेलवे स्टेशन से दबोचे गए थे दोनों सीबीआई के लोक अभियोजक एससी मीणा ने बताया कि घटना 6 अप्रैल 2014 की है। सीबीआई को पुख्ता सूचना मिली थी कि बंगाल से नकली नोटों का खेप मुरादाबाद आने वाला है। सीबीआई टीम ने बंगाल से आने वाली न्यू फरक्का एक्सप्रेस ट्रेन के रुकते ही बोगी में बैठे शालू और कासिम को दबोच लिया। शालू के पास से दो लाख और कासिम से एक लाख के नकली नोट की बरामदगी हुई। जुलाई 2014 में आरोप पत्र दाखिल करने के बाद अदालत से तीन वर्ष बाद फैसला आया। मुरादाबाद निवासी हनीफ ही इन लोगों से बंगाल से नकली नोटों को मंगाकर यहां कमीशन पर खपाकर कमाई कराता था। एक अभियुक्त फरार नकली नोटों की तस्करी का एक आरोपी अब तक सीबीआई की पकड़ से बाहर है। तीन वर्ष भी मुरादाबाद निवासी आरोपी हनीफ का पता नहीं चला है। सीबीआई के मुताबिक गिरफ्तार तीनों अभियुक्तों के साथ हनीफ भी बंगाल से नकली नोटों की तस्करी में लिप्त था। वह मुरादाबाद और आसपास के शहरों में कमीशन पर नकली नोटों को खपाता था।
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