कोलकाता/नई दिल्ली।

अगस्ता का बवडंर तेज होता जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर रिश्वत मामले में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) शशिकांत शर्मा पर इशारों में सवाल उठाया। शर्मा पूर्व में रक्षा मंत्रालय में काम कर चुके हैं। राय ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर से लोकसभा में चर्चा के दौरान पूछा कि मैं आपसे जानना चाहता हूं कि क्या आपने डीजी, प्रोक्योरमेंट से इस मामले में पूछताछ की है? लेकिन, राय ने किसी का नाम नहीं लिया।

पश्चिम बंगाल के दमदम से सांसद राय ने पर्रिकर से विशेष रूप से जानना चाहा कि पिछले डेढ़ साल में भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? उन्होंने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ खूब शोरशराबा करती है, लेकिन इसे खत्म करने की दिशा में बताने के लिए उसके पास कुछ भी ठोस नहीं है।

उन्होंने रक्षा मंत्री से पूछा है कि आपका कहना है कि 124 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई। आपकी सरकार के तहत बीते दो साल में सीबीआई ने क्या किया? अगर रिश्वत दी गई है तो आपको इसे वसूलना चाहिए था।  शर्मा 2007 से 2010 तक रक्षा मंत्रालय में डीजी ऐक्विजिशन के पद पर तैनात थे। राय ने गलती से ‘डीजी प्रोक्योरमेंट’ कहा था। कथित रूप से शर्मा का नाम और उनके पद का जिक्र उस सूची में शामिल है, जिसे इस सौदे के दलाल क्रिश्चियन मिशेल ने इटली की अदालत को सौंपा था।

बीजेपी के सदस्य निशिकांत दूबे ने भी सीएजी समेत कुछ और लोगों का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे लोग संवैधानिक पदों पर अब भी कार्यरत हैं। उन्होंने एक संदर्भ प्रस्तुत करते हुए कहा कि जब सुषमा स्वराज विपक्ष की नेता थीं, तो उन्होंने एक पूर्व पुलिस अधिकारी की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में नियुक्ति का विरोध किया था।

1976 बैच के आईएएस अधिकारी शर्मा 2003 में रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव बने थे। बीजेपी के सूत्रों ने 2013-14 में आरोप लगाया था कि शर्मा 2007 में डीजी एक्विजिशन बन गए थे और विवादस्पद अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर की खरीद प्रक्रिया को ‘वस्तुत: वही नियंत्रित’ कर रहे थे। वैसे बता दिया जाय कि सौगत राय खुद कथित एक भ्रष्टाचार के मामले पर फंसे नजर आ रहें हैं। कारण बंगाल विधान सभा चुनाव के दौरान एक मीड़िया के द्वारा उनका स्टिंग अपरेशन कर उन्हें कथित र पर लाखों रुपये लेते हुए दिखाया गया था।

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