कोलकाता। इन दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नोटबंदी के मुद्दे को लेकर लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भिड़ने में लगी हुई हैं। उन्हें यह लगता है कि इससे उन्हें और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को काफी फायदा मिल रहा है। साथ ही उन्हें यह लगता है कि दिल्ली में रैली करना और मीटिंग करना भी उनकी शाख मजबूत कर रहा है। वह दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार के नेताओं जैसे अरविंद केजरीवाल, उमर अब्दुल्ला और अखिलेश यादव से मिल रही हैं और नोटबंदी पर उनसे भी बात कर रही हैं। जानकारों की माने तो इस तरह से दीदी को  लग रहा है कि आने वाले दिनों में उन्हें और उनकी पार्टी को फायदा मिलेगा, लेकिन ऐसा है नहीं। उनकी यह सारी कोशिशें पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को फायदा न पहुंचाकर उल्टा भाजपा को ही फायदा पहुंचा रही हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का ममता बनर्जी को बालों से पकड़कर घसीटने वाला बयान भी भाजपा को ही फायदा पहुंचा रहा है। आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को पसंद न करने वाले बहुत से लोग हैं। साथ ही, ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो घोष के उस बयान पर भी कोई आपत्ति नहीं जताते जिसमें उन्होंने मई 2016 में जादवपुर यूनिवर्सिटी की कुछ छात्राओं के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा था कि ये महिलाएं स्टैंडर्ड से नीचे, बेशर्म और लगातार पुरुष छात्र का साथ ढूंढ़ती रहती हैं। घोष ने ममता को बाल से पकड़कर घसीटने वाले बयान पर माफी मांगी है, लेकिन ये नहीं कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा है। इस तरह की टिप्पणियां तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच पश्चिम बंगाल में दूरी बढ़ाने का कर रही हैं और इससे ममता विरोधी आवाजें और अधिक बुलंद होती जा रही हैं। जहां 2001 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 5.19 प्रतिशत वोट मिले थे वो 2016 में बढ़कर 10.16 प्रतिशत हो गए। ममता से नफरत करने वाले अधिकतर लोग वह हैं, जिन्होंने लेफ्ट पार्टियों को या कांग्रेस को वोट दिया था। पिछले कुछ सालों में लेफ्ट पार्टियों को मिलने वाले वोट कम हुए हैं। सीपीएम को 2011 विधानसभा चुनाव में 30.8 प्रतिशत वोट मिले थे जो महज पांच सालों में ही घटकर 19.75 प्रतिशत हो गए हैं। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को 2011 में 38.93 फीसदी वोट मिले थे, जो 2016 में बढ़कर 44.91 फीसदी हो गए। वहीं दूसरी ओर भाजपा को 2011 में 4.06 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2016 में बढ़कर 10.16 फीसदी हो गए। भले ही भाजपा को कम वोट मिले हैं, लेकिन भाजपा के वोटों में हुई बढ़ोत्तरी तृणमूल कांग्रेस की तुलना में काफी अधिक है। इस तरह से पश्चिम बंगाल में भाजपा को न केवल अधिक वोट मिलते जा रहे हैं, बल्कि ममता बनर्जी का विरोध करने वाले भी बढ़ते जा रहे हैं। घोष द्वारा की कई टिप्पणी भी उन लोगों को खुश करने वाली रही जो लोग ममता बनर्जी से नफरत करते हैं। ऐसे में पश्चिम बंगाल में लगातार भाजपा को फायदा मिलता जा रहा है और ममता बनर्जी को नुकसान होता दिख रहा है।

 

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