विजिटिंग कार्ड व वाहनों में हो रहा है राष्ट्रीय चिन्ह का इस्तेमाल

जगदीश यादव
कोलकाता। महानगर कोलकाता में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो इस देश के राष्ट्रीय चिन्ह यानी आशोक स्तम्भ का उपयोग अवैध तौर पर कर रहें हैं और देश के इस राष्ट्रीय चिन्ह का इस्तेमाल कर अपनी रोटी सेंक रहें है। महानगर कोलकाता में कार्यरत कई पुलिस कर्मियों ने गोपनियता की शर्त पर बताया कि इन दिनों संदिग्ध लोगों को भी आशोक स्तम्भ लगे वाहनों में आवाजाही करते देखा जा सकता है। आमतौर पर पुलिस वाले कई कारणों से उक्त तरह के वाहनों की पड़ताल नहीं करते है जिसके कारण आशोक स्तम्भ का उपयोग करने वाले गैर अधिकृत लोगों का मनोबल बढ़ रहा है। मिली जानकारी पर भरोसा करे तो ऐसे भी तमाम आमजन है जो सरकारी कमेटियों में मानद पद पर व सदस्य हैं । उक्त लोग भी इस राष्ट्रीय चिन्ह का इस्तेमाल विजिटिंग कार्ड व वाहनों में कर रहें है जो कि कानूनन अपराध ही नहीं देश के साथ किये जाने वाला अवांक्षित कार्य है। बहरहाल कलकत्ता हाईकोर्ट के अधिवक्ता जितेश साह ने बताया कि भारतीय अधिसूचना एक्स्ट्रा ओर्डिनरी, पार्ट-2, सेक्शन तीन, सब सेक्शन एक (चार अक्टूबर 2007) को गृह मंत्रालय से जारी नियमों के तहत विजिटिंग कार्ड पर अशोक स्तम्भ छपाने का अधिकार चुनिंदा पद पर बैठे लोगों को ही है। स्टेशनरी सहित अन्य जगहों पर भी इसके उपयोग को लेकर मनाही है। नियमों के पेज तीन एवं कॉलम- 10 के तीसरे पैरा में स्पष्ट है कि कोई भी संगठन एवं व्यक्ति अशोक स्तम्भ का उपयोग नहीं कर सकेगा। अधिसूचना के तहत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री, गवर्नर, लेफ्टिनेंट गवर्नर, प्रशासक, संसद कार्यालय और अधिकारी, प्लानिंग कमीशन के अधिकारी, मुख्य चुनाव आयुक्त सहित कुल 16 पदों को इस प्रतीक के इस्तेमाल का अधिकार है। अधिवक्ता जितेश साह ने कहा कि, द स्टेट एंबलम ऑफ इंडिया’ ((प्रिहेब्शन ऑफ इंप्रापर यूज)) एक्ट 2005 के तहत अगर कोई आम आदमी अशोक स्तंभ का इस्तेमाल करता है तो उसके खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए। सेक्शन-3 के तहत उसे दो साल की सजा या फिर 5,000 रुपए का जुर्माना किया जा सकता है। इसी तरह से राष्ट्रीय ध्वज की बेअदबी के लिए ‘प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल आनर्स’ एक्ट 1971 में 2002 में संशोधन करते हुए इसमें ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ को शामिल किया गया था। इसके तहत छह महीने से दो साल की सजा और 5,000 रुपए का जुर्माने का प्रावधान है। इधर इंडियन काउंसिल आफ प्रेस मीडिया एण्ड सैटेलाइट ब्राडकास्टिंग (आईसीपीएमएसबी) के अब्जर्वर फिरोज आलम ने मामले पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय ध्वज और अशोक स्तम्भ भारतीय लोगों के बीच गौरव और आदर का प्रतीक हैं। यह हमारे लिये जान से बढ़कर है। इनके सम्मान के लिए देश के कई जांबाज बलिदान तक दे चुके हैं। गौरव और सम्मान की रक्षा हरेक नागरिक का कर्तव्य है। कानून के इतर जनभावना यही है कि राष्ट्रीय चिह्न को पूरा आदर दिया जाए।

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