जगदीश यादव
कोलकाता। महानगर कोलकाता के कुम्हारटोली व काली घाट के पटुआ पाडा़ में इन दिनों खुदा यानी भगवान, या यूं कहें की देवी देवताओं को बनाने वाले कलाकार रात दिन काम करते नजर आ रहें है। ये ऐसे लोग हैं हैं जो अपनी हाथों से देवी देवताओं के कथित आकार को साकार करते हैं। लगभग देढ़ माह से उक्त लोग ज्ञान की देवी सरस्वती माता की प्रतिमाओं को तैयार कर रहे है। लेकिन देवी देवता सहित ज्ञान की देवी सरस्वती माता की प्रतिमाओं को गढ़ने का हुनर रखने वाले ये कलाकार महंगाई की मार व जीएसटी की मार से बेजार हो रहें हैं । ऐसे कलाकारों की माने तो इनलोगों को भगवान गढ़ने का हुनर तो आता है लेकिन महंगाई की मार व जीएसटी से निपटने के हुनर में वह लोग फेल हो गये हैं। महंगाई व जीएसटी के कारण देश भर में ज्ञान की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा का कद घट गया है मिट्टी के प्रतिमा बनाने व इसे बेचने वाले उक्त हालात से परेशान हैं। प्रतिमा निर्माण से से जुड़़े संजाय दास व रमेन पाल ने बताया कि जीएसटी व महंगाई के कारण इस साल ज्यादत्तर पूजा कमेटियों, स्कूल, क़ॉलेज ही नहीं घरों में स्थापित होने वाली सरस्वती प्रतिमाओं का कद घट गया है।जीएसटी का असर प्रतिमाओं को सजाने के लिए लगने वाली सामग्री पर पड़ा है। इस कारण इस बार प्रतिमा के दामों पर इसका परिणाम स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है। 95 रुपये में मिलनेवाले रंगों के दाम अब 113 रुपये हो गए हैं। साथ ही चिकनी मिट्टी, बोरीपट्टी, लकड़ी, विशेष प्रकार की (शालू) मिट्टी की कीमतों में भी वृद्धि हो गई है। नतीजा यह है कि प्रतिमा बनाने के लिए कारीगरों को अधिक खर्च करना पड़ रहा है। इस कारण इस बार प्रतिमा की कीमतों में भी बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है। कालीघट में प्रतिमा निर्माण से जूड़़े कलाकारों का भी का दर्द एक ही जैसा है। इनकी माने तो वह लोग कम से कम 50 बड़ी प्रतिमाओं का आर्डर हर वर्ष ले लेते थें। इस बार मुश्किल 25 से 30 प्रतिमाओं का आर्डर मिलाा। वैसे खासकर तीन से चार फीट के प्रतिमाों की पूजा पंडालों में ज्यादा मांग होती है। इसकी कीमत 1000-2500 के बीच होती है। मूर्ति की रंगाई से लेकर अन्य सामग्री में कीमत में बढ़ोतरी भी हुई है। वहीं महंगाई के कारण लोगों से चंदे का कम मिलाना पूजा कमेटियों के लिये समस्या रही जिसके कारण मंडप से लेकर प्रतिमा के वजट में भी कटौती मजबूरी बन गई है। बीते साल की तुलना में मूर्ति की कीमत में दो-चार सौ रुपये के बीच अंतर हुआ है।मूर्ति निर्माण के लिए मिट्टी, बिचाली, बांस आदि की कीमत बढ़ गई है। मूर्तिकारों ने बताया कि पहले प्रति टेलर देढ़ हजार रुपये में मिट्टी मिल जाती थी। इस बार इसमें सीधे 1500 रुपये की अधिक मांग की जाती है। वहीं बांस पहले जहां 250 रुपये में आता था, वह इस बार 300 रुपये से ज्यादा लगा।

Spread the love
  • 6
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
    6
    Shares
  •  
    6
    Shares
  • 6
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •